हिंदी पट्टी के आम वोटर का मोदी पर भरोसा आठ साल बाद भी जस का तस क़ायम है। जन धन योजना से लेकर मुफ़्त राशन जैसी योजनाओं के जरिये गरीब , संसाधनहीन आबादी को लाभार्थी वर्ग में तब्दील करके एक बड़ी संख्या वाला वफ़ादार वोटर समुदाय खड़ा करने का काम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की दोबारा जीत का आधार बना है। महिला वोटर के इसमें अतिरिक्त जुड़ाव ने जीत को मज़बूती दी है।
योगी आदित्यनाथ बीजेपी में मोदी के बाद दूसरे ऐसे तगड़े नेता बन कर उभरे हैं जो कट्टर, सख़्त तेवरों के साथ हिंदुत्ववादी ध्रुवीकरण का एजेंडा मज़बूती से लागू कर सकते हैं, यानी कट्टर हिंदू वोटर की भाषा में कहें तो मुसलमानों को टाइट रख सकते हैं। शहरी मध्यवर्ग में योगी की लोकप्रियता बढ़ने का यह एक प्रमुख कारण है। बुलडोज़र उनकी दबंगई का एक प्रतीक बना है। इसका असर यह होगा कि योगी अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में मज़बूत होने के साथ साथ बीजेपी की केंद्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण चेहरा बन कर उभरेंगे। मुमकिन है अमित शाह से भी ज्यादा । हालांकि, इसका यह मतलब क़तई नहीं कि योगी केंद्र में मंत्री बनने जा रहे हैं। संगठन में उनका क़द बढ़ना तय है। हिंदुत्व के पोस्टर ब्वाय तो योगी हैं ही।

पांच राज्यों में हुए चुनाव के और भी कई मायने हैं। यहां तक की अकेले यूपी के नतीजों के कई मायने हैं। जानिए।