विश्वयुद्ध के बाद आधुनिक विश्व का शैक्षिक परिदृश्य देखें तो उसमें जेएनयू और सत्ता के रिश्तों जैसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा! मैंने बहुत जानने-खोजने की कोशिश की पर ऐसा एक भी उदाहरण नहीं मिला, जहां किसी देश के शासक और शासक दल के करोड़ों समर्थक अपने ही देश एक श्रेष्ठ विश्वविद्यालय के विरुद्ध ज़हरीले और अनर्गल प्रचार में लिप्त हों और उस संस्थान को ध्वस्त करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हों! इस मायने में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सिर्फ़ भारत का ही नहीं, समूची दुनिया का अनोखा विश्वविद्यालय साबित हो चुका है।