खेती और किसानी पर नीति आयोग की बैठक में खूब बातें हुईं। उनकी आमदनी बढ़ने तक की बातें हुईं। बीजेपी शासित राज्यों ने किसानों की जिन्दगी बदलने के लिए सरकार की पीठ ठोंकी, पीएम मोदी को बधाई दी। लेकिन खेती और किसानी की हकीकत क्या है, क्या सचमुच आमदनी बढ़ी है, पढ़िए यह रिपोर्ट।
उत्तर प्रदेश के गाँवों में किसान इन दिनों आवारा गाय और बैलों के फ़सल तबाह करने के कारण परेशान हैं। किसान इन्हें स्कूलों में बंद कर इन पर नियंत्रण रखने की माँग कर रहे हैं।
देसी शराब का आलू की खेती से क्या लेना-देना? आपको भले न पता हो, लेकिन किसान धड़ल्ले से आलू की खेती में देसी शराब का प्रयोग कर रहे हैं। वे ऐसा क्यों कर रहे हैं और इसका कोई नुक़सान तो नहीं है?
महाराष्ट्र सरकार ने प्याज़ के किसानों के लिए 150 करोड़ की राहत का एलान किया है। लेकिन किसान ख़ुश नहीं हैं। उन्हें क्यों लगता है कि तीन राज्यों में मिली हार के बाद सरकार किसानों की हितैषी बनने का दिखावा कर रही है?
दो साल पहले तक यानी उत्तर प्रदेश में BJP की सरकार आने से पहले तक ये किसान अनुपयोगी जानवरों को बेच कर कुछ कमाई कर लेते थे। आज इन अनुपयोगी जानवरों का कोई ख़रीदार नहीं है।
देश भर से दिल्ली आए हज़ारों किसान फिलवक़्त बहरे कानों पर दस्तक देकर वापस खेतों की ओर लौट गए। हालाँकि उनके दिल्ली आने की वज़ह ज्यों-की-त्यों है। तो क्या वे फिर आएँगे?
फ़सलों के उचित दाम दिलाने के लिए देश भर से हज़ारों किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार बड़े सेठों के क़रीब पौने तीन लाख करोड़ रुपये माफ़ कर चुकी है। तो केंद्र सरकार को किसानों के ऋण माफ़ करने में क्या दिक्कत है?
हजारों की संख्या में कई राज्यों से किसान रामलीला मैदान पहुंचे हैं ताकि वे सरकार के सामने अपनी माँगों को रख सकें। कई संगठनों ने किसानों की माँगों का समर्थन किया है।
हज़ारों की संख्या में कई राज्यों से किसान रामलीला मैदान पहुँचे हैं ताकि वे सरकार के सामने अपनी माँगों को रख सकें। कई संगठनों ने किसानों की माँगों का समर्थन किया है।
किसानों ने अपनी माँगों से संबंधित चिट्ठी एक चिट्ठी राष्ट्रपति को भेजी है जिसमें उन्होंने सवाल किया है कि उनकी दुर्दशा पर संसद का संयुक्त सत्र क्यों नहीं होता।