आज किसान दिवस है। हर साल आता है। लेकिन इस बार भारी हलचल है क्योंकि आम चुनाव सिर पर है। हाल ही में पाँच राज्यों के चुनाव में सत्तारूढ़ दल का सफ़ाया हुआ है, जिसे किसानों के ग़ुस्से का नतीजा माना जा रहा है!
किसान दिवस सिर्फ़ हैश टैग नहीं है हुज़ूर!
- विचार
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- 23 Dec, 2018

तमाम राजनीतिक दल चुनाव के मद्देनज़र किसानों को रिझाने की कोशिश में है और कई तरह की घोषणाएँ कर रही हैं। पर इससे किसानों का कितना भला होगा?
इसलिए अब नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार समेत केंद्र सरकार व बीजेपी की तमाम राज्य सरकारें किसानों पर सहृदय होने की आख़िरी कोशिश में जुट गई हैं। नीति आयोग मीडिया को समझा रहा है कि मोदी जी के दिल और उनकी नीतियों में किसान की बदहाली ख़त्म करने का संकल्प कितना बड़ा है। झारखंड के मुख्यमंत्री प्रति एकड़ पाँच हज़ार रुपये की मदद का एलान कर चुके हैं, गुजरात सरकार ग्रामीण इलाक़ों में बिजली के बिल माफ़ कर रही है तो असम सरकार ने किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के लिए साढ़े छह सौ करोड़ ख़ज़ाने से निकाल कर बाहर लहरा दिए हैं। केंद्र में एक बड़ी राष्ट्रव्यापी क़र्ज़माफ़ी के एलान का हिसाब तैयार हो रहा है! गाय और राम मंदिर को संघ ने नेपथ्य में कर लिया है।