कोरोना महामारी के डर से हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर लौट रहे देवराम बीच सड़क पर थक कर बैठ गये, उनका दम टूटने लगा, पांव दुख रहे हैं, अब आगे जाने की जरा भी हिम्मत नहीं रह गई है।
कोरोना: ...अंत में देवराम के काम आया दो गज कफन
- पाठकों के विचार
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- 16 May, 2020
जिंदगी भर महानगरों में नौकरी करने वाला देवराम जब कोरोना संकट के कारण गांव को लौटा तो रास्ते में ही थक कर बैठ गया। साथ के लोग उसे छोड़कर चले गये। थोड़ी देर बाद उसने दम तोड़ दिया।

देवराम तड़पती आवाज में बोल उठे, ‘‘थोड़ा रुक के चलो, अब शरीर भी जिन्दा लाश बन गया है।’’
साथ चलने वाले लोग आगे बढ़ने लगे, उसके गांव के कुछ मजदूर रुक गये, उनमें से एक बोला,‘‘अरे आगे बढ़ो, यहां रुककर कोई फायदा नहीं होगा, चलते रहोगे तो घर जीवित पहुँच जाओगे।’’