भाजपा राजस्थान में पहली बार एक नया प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए एक अलग सलाहकार टीम बनवाने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा सीएम को विभिन्न मुद्दों पर सलाह देने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने जा रही हैै।
अब तक सामने आयी जानकारी के मुताबिक अनुभवी नेताओं और सेवानिवृत अधिकारियों की यह टीम थिंक टैंक की तरह काम करेगी। इस टीम में कुल 8 सदस्य होंगे जिसमें 3 राजनेता, एक आइएएस और एक आईपीएस और तीन आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इस टीम में भाजपा के कद्दावर नेता राजेंद्र राठौर बड़ी भूमिका निभाएंगे। उनके साथ ही इस टीम में पूर्व कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह भी शामिल होंगे।
खास बात यह है कि राजेंद्र राठौर पर प्रभु लाल सैनी इस बार चुनाव हार चुके हैं। वहीं राव राजेंद्र सिंह को पार्टी ने इस बार पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया था। यह टीम पार्टी के लिए अहम माने जा रहे मुद्दों पर फोकस करेगी।
माना जा रहा है कि जल्द ही इस टीम की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन मंत्री बीएल संतोष के साथ मुलाकात हो सकती है।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब तक विभिन्न राज्य सरकारों में मुख्यमंत्रियों के सलाहकार नियुक्त होते रहे हैं। अब पहली बार मुख्यमंत्री से अलग पार्टी द्वारा एक सलाहकार टीम तैयार की गई है।
इस सलाहकार टीम में शामिल सबसे प्रमुख और कद्दावर चेहरा राजेंद्र राठौर को माना जा रहा है। वे भले ही इस बार विधानसभा चुनाव हार गए हैं लेकिन इससे पहले वह 7 बार विधायक रह चुके हैं। वह भाजपा की भैरोसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे सरकार में कई अहम विभागों के मंत्री रह चुके हैं।
उन्हें सलाहकार टीम में शामिल कर भाजपा उनके अनुभव का लाभ सीएम भजनलाल को देना चाहती है। वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे प्रभुलाल सैनी लगातार दूसरी बार चुनाव हारे हैं लेकिन भाजपा संगठन में लगातार सक्रिय रहे हैं। अनुभवी राजनेता प्रभुलाल सैनी का पार्टी की जीत में भी अहम योगदान रहा है।
राव राजेंद्र सिंह वर्ष 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव हार गए थे। 2023 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। वे भी काफी अनुभवी नेता हैं। पार्टी को उनके महत्व का अंदाजा है। इसलिए ही पार्टी उन्हें सीएम का सलाहकार बनाकर सम्मान देना चाहती है।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे पहले भी मुख्यमंत्री अपने लिए सलाहकार की नियुक्ति करते थे। अशोक गहलोत जब सीएम थे तब उन्होंने भी अपने लिए सलाहकारों की नियुक्ति की थी। वसुंधरा राजे ने भी अपने लिए सलाहकार नियुक्त किए थे। पहले जहां सलाहकार सिर्फ औपचारिक तौर पर नियुक्त किए जाते थे। आम तौर पर पहले ऐसी नियुक्तियां राजनैतिक फायदा पहुंचाने के लिए या किसी को सम्मान देने के लिए की जाती थी। लेकिन अब हुई यह नियुक्ति पहले की नियुक्ति से अलग है। राजस्थान में पहली बार भाजपा सलाहकारों की नियुक्ति कर रही है।
राजस्थान की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि इस टीम में कद्दावर राजनेता शामिल हैं इसलिए यह टीम पूर्व के सलाहकारों की अपेक्षा अधिक मजबूत होगी। इसके गठन के साथ ही यह माना जा रहा है कि राजस्थान सरकार में भाजपा या केंद्रीय नेतृत्व का हस्तक्षेप बढ़ेगा।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी जनता में यह संदेश देना चाहती है कि उसकी राजस्थान में बनी सरकार मुद्दों पर बनी सरकार है। पार्टी संदेश देना चाहती है कि उसकी सरकार में किसी एक व्यक्ति के बजाए मुद्दों को महत्व दिया जाता है।
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