अयोध्या में बाबरी मसजिद 6 दिसंबर 1992 को गिरा दी गई थी। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट को सौंपने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार ने ट्रस्ट बना दिया और उसके बाद राम मंदिर निर्माण शुरू हो गया। मंदिर का एक हिस्सा बनकर तैयार है। 22 जनवरी 2024 को यहां प्राण प्रतिष्ठा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। इस दौरान दो शंकराचार्यों ने खुलकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का राजनीतिकरण करने का विरोध कर दिया। विपक्ष ने भी कार्यक्रम को लेकर शुरू हुई राजनीति का विरोध किया। इन्हीं सब विवादों के बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने एक कथित गूगल मैप शेयर दावा कर दिया कि राम मंदिर का निर्माण बाबरी वाली जगह से तीन किलोमीटर दूर हो रहा है।
ऑल्ट न्यूज के मुताबिक मनीष जेठवानी ने एक गूगल मैप शेयर करते हुए बताया कि जहां बाबरी मसजिद थी, मंदिर उससे तीन किलोमीटर दूर बन रहा है। इसके बाद संजय राउत, दिग्विजय सिंह, विकास बंसल समेत असंख्य लोगों के ट्वीट सोशल मीडिया पर दिखाई पड़ने लगे। जिसमें यह मान लिया गया कि राम मंदिर मसजिद वाली जमीन से 3 किलोमीटर दूर बन रहा है। तब ऑल्ट न्यूज ने इसके फैक्ट चेक का फैसला किया।
अपनी जगह पर बन रहा है राम मंदिरऑल्ट न्यूज के मुताबिक उसने शेयर किए गए गूगल मैप में बताई गई बाबरी मसजिद वाली जगह को गूगल मैप पर खोजा तो पाया कि अयोध्या में उस लोकेशन पर सीता-राम बिड़ला मंदिर है। फिर ऑल्ट न्यूज ने वायरल स्क्रीन शॉट की गूगल मैप से तुलना की। जब उसे जूम किया गया तो वो स्ट्रक्चर राम सीता बिड़ला मंदिर का ही है। यानी उस लोकेशन पर मंदिर ही है। वहां बाबरी मसजिद नहीं थी।
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सोशल मीडिया पर वायरल स्क्रीन शॉट में फ्रॉड करके बाबर मसजिद लिखा गया था। दरअसल, वो गलत मार्किंग की गई थी। वहां पर मंदिर ही है लेकिन उसे गलत मार्किंग करके बाबर मसजिद लिखा गया। फिर मसजिद के रिव्यू में बाबरी मसजिद तस्वीर अपलोड कर दी गई। अब जो भी उस शेयर किए गए गूगल मैप पर जिसे छेड़छाड़ करके तैयार किया गया होगा, पर विश्वास करेगा तो उसे राम मंदिर 3 किलोमीटर दूर बनता दिखेगा। लेकिन यह सच नहीं है।
ऑल्ट न्यूज ने उसके बाद गूगल अर्थ प्रो पर अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को सर्च किया तो पाया गया कि सबसे लेटेस्ट सेटेलाइट इमेज में उस जगह पर मंदिर जैसा ढांचा खड़ा है। फिर उस जगह का पुराना सेटेलाइट ऑल्ट न्यूज ने उसी ऐप पर देखा तो पुरानी तस्वीरों से साफ हुआ कि 2011 में वहां कोई निर्माण खड़ा नहीं हो रहा था। यानी उस जगह राम मंदिर बनने की शुरुआत ही 2019 से हुई। ऑल्ट न्यूज ने फैक्ट चेक के बाद जो सच्चाई शेयर की है, उसका स्क्रीन शॉट देंखे-
ऑल्ट न्यूज ने इस स्क्रीनशॉट को शेयर किया है।
ऑल्ट न्यूज ने ऐप के जरिए तमाम गूगल मैप शेयर किए, जिनसे साबित होता है कि राम मंदिर उसी जगह बन रहा है, जहां बाबरी मसजिद को गिराया गया था।
हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत ने भी यही कहा
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने 16 जनवरी को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इस आरोप को खारिज कर दिया कि अयोध्या में राम मंदिर विवादित जगह से तीन किलोमीटर दूर बन रहा है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि राम मंदिर वहीं पर बन रहा है, जहां बाबरी मसजिद को हम लोगों ने गिराया था। एएनआई के मुताबिक राजू दास ने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी अयोध्या आकर लोगों को बताएं कि राम मंदिर कहां बन रहा है।महंत राजू दास ने कहा- कांग्रेस की वजह से ही यह मुद्दा इतने लंबे समय तक चला। कांग्रेस ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए भगवान राम को काल्पनिक साबित करने की कोशिश की। उन्होंने भगवान राम को एक तंबू में रखा... कांग्रेस ने दिल्ली में गायों और हिंदू संतों को गोली मार दी। उन्होंने कई बार सनातन धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश की है। ये वही दिग्विजय सिंह हैं जिन्होंने अपनी किताब में लिखा था कि हिंदू संत बोको हराम से भी ज्यादा कट्टरवाद फैला रहे हैं। यह कांग्रेस पार्टी और दिग्विजय सिंह ही हैं जिन्होंने 'भगवा आतंकवाद' शब्द गढ़ा है...।''
इससे पहले कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए इस मुद्दे को और हवा दी थी। दिग्विजय सिंह ने लिखा था- कांग्रेस
@INCIndia ने कभी भी अयोध्या जी में Ram Mandir निर्माण का विरोध नहीं किया। केवल विवादित भूमि में निर्माण हेतु न्यायालय के फ़ैसले तक इंतज़ार करने के लिए कहा था। ग़ैर विवादित भूमि पर भूमि पूजन भी राजीव जी के समय हो गयी थी। नरसिम्हा राव जी ने राम मंदिर निर्माण के लिए ग़ैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था। लेकिन @BJP4India @VHPDigital @RSSorg को मंदिर निर्माण नहीं, मस्जिद गिराना था। क्योंकि जब तक मस्जिद नहीं गिरेगी तब तक मुद्दा हिंदू मुसलमान का नहीं बनता।
दिग्विजय ने अपनी लंबी पोस्ट में लिखा- विध्वंस उनकी चाल व चरित्र में है अशांति फैला कर राजनीतिक लाभ लेना उनकी रणनीति है। इसीलिए उनका नारा था “राम लला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे”। अब वहाँ क्यों नहीं बनाया? जब उच्चतम न्यायालय ने विवादित भूमि न्यास को दे दी थी? इसका जवाब तो केवल
@VHPDigital के चंपत राय जी या
@narendramodi जी ही दे सकते हैं। मेरी सहानुभूति उन स्वयं सेवक परिवारों के साथ है जो मंदिर निर्माण आंदोलन में शहीद हुए व वो लोग जिनके ऊपर न्यायालय में आपराधिक मुक़दमे चले। वे क्या आमंत्रित किए गए? निर्मोही अखाड़े के लोग जिन्होनें 175 वर्षों तक राम जन्म भूमि की लड़ाई लड़ी जिन्होनें अदालत में लड़ाई लड़ी उन्हें क्या आमंत्रित किया? उनके पूजा का अधिकार भी छीन कर वीएचपी के चंपत राय के चयनित स्वयं सेवकों को दे दिया। क्या यही राज धर्म है क्या यही राम राज है?
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