राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के जन्मदिन के मौके पर मंगलवार को बड़ी संख्या में समर्थक उनके आवास पर जुटे। इसमें कांग्रेस के विधायक भी मौजूद रहे। इस मौके पर राजधानी जयपुर से लेकर सचिन पायलट के गृह क्षेत्र दौसा और निर्वाचन क्षेत्र टोंक तक में उनके समर्थकों ने जश्न मनाया। राजस्थान के कई इलाकों में उनके समर्थकों ने होर्डिंग भी लगाए और पायलट के पीछे एकजुटता दिखाई।
समर्थकों के द्वारा पायलट के पक्ष में लामबंद होने के बाद चर्चा चली है कि क्या पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं और क्या इसी वजह से उनके समर्थक दोगुने उत्साह में हैं।
राजस्थान में 2023 के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और यह बात किसी से छिपी नहीं है कि सचिन पायलट राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री पद के थे दावेदार
2018 में जब कांग्रेस राजस्थान में सत्ता में आई थी तब पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी जबकि पायलट उप मुख्यमंत्री बने थे। पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ ही उपमुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर भी थे लेकिन बगावत के बाद उन्हें दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा था।
मुख्यमंत्री बनाने की मांग
साल 2020 में सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ गुड़गांव के मानेसर में स्थित एक होटल में चले गए थे। तब कांग्रेस आलाकमान को दखल देकर सचिन पायलट को मनाना पड़ा था। एक लंबी कवायद के बाद सचिन पायलट के समर्थकों को कैबिनेट में एडजस्ट किया गया था। पायलट के समर्थक लगातार पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते रहे हैं।
पायलट के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा ऐसे वक्त में जोरों-शोरों से उठी है जब राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की अटकलें लग रही हैं। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले महीने अशोक गहलोत से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने का आग्रह किया था। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी चाहते हैं कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनें।
लेकिन क्या अशोक गहलोत राहुल और सोनिया की बात को मानेंगे। क्या वह मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार होंगे?
अगर गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो ऐसी सूरत में सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार होंगे। कुछ दिन पहले राजस्थान के अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए जाने की पुरजोर सिफारिश की थी।
गुर्जर बिरादरी एकजुट
सचिन पायलट के पक्ष में एक बड़ी बात यह है कि वह जिस गुर्जर समुदाय से आते हैं, वह उनके पक्ष में पूरी ताकत के साथ खड़ा है। हालांकि सचिन पायलट खुद को राजस्थान में सभी जातियों-बिरादरियों का नेता बताते रहे हैं लेकिन चूंकि राजनीति में जाति काफी अहमियत रखती है इसलिए गुर्जर समुदाय पायलट के पक्ष में दिखाई देता है।
राजस्थान के साथ ही दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के गुर्जर समुदाय में युवाओं का बड़ा तबका सचिन पायलट को पसंद करता है और उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहता है। राजस्थान में गुर्जर प्रभावशाली समुदाय है और इस समुदाय की आपसी एकजुटता भी बेजोड़ है।
राजेश पायलट
सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट मूल रूप से पश्चिम उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के रहने वाले थे। लेकिन चूंकि उन्होंने राजनीति राजस्थान के दौसा में की थी इसलिए सचिन पायलट भी वहीं पर राजनीति करते रहे हैं।
पायलट अभी 45 साल के हैं और वह राजस्थान में उपमुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अगर कांग्रेस उन्हें इतनी कम उम्र में राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाती है तो निश्चित रूप से वह देश में युवाओं के बीच यह संदेश दे सकती है कि वह युवाओं को तरजीह दे रही है। देखना होगा कि क्या कांग्रेस अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए मनाने में कामयाब रहती है और क्या इसके बाद सचिन पायलट को ही राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी।
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