राजस्थान के कोटा में सोमवार को एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। वह जेईई की तैयारी कर रही थी। 18 वर्षीय जेईई अभ्यर्थी ने मौत से पहले अपने माता-पिता के लिए एक कथित सुसाइड नोट छोड़ा है। उसमें उसने लिखा कि वह जेईई करने में असमर्थ है। परीक्षा से दो दिन पहले उसने यह क़दम उठाया। उसकी परीक्षा 31 जनवरी को होने वाली थी।
कोटा में इस इस साल यह दूसरी आत्महत्या है। जेईई मेन्स की तैयारी कर रही पीड़िता ने कोटा के शिक्षा नगरी इलाके में अपने घर के कमरे में फाँसी लगा ली। उसने एक नोट छोड़ा जिसमें लिखा कि वह 'सबसे ख़राब बेटी' है और आख़िरी उपाय के रूप में यह कदम उठा रही है।
पुलिस के अनुसार किशोरी अपने माता-पिता के साथ रह रही थी और 30 जनवरी को होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी जेईई की तैयारी कर रही थी। पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया, वह परीक्षा को लेकर तनाव में थी और इसलिए उसने यह कदम उठाया।
उसके द्वारा छोड़े गए एक कथित नोट में उसने लिखा है,
“
मम्मी पापा, मैं जेईई नहीं कर सकती इसलिए मैं आत्महत्या कर रही हूं। मैं असफल हूं। सबसे ख़राब बेटी। सॉरी मम्मी पापा। यही लास्ट ऑप्शन है।
जेईई अभ्यर्थी के सुसाइड नोट के अंश
इस साल कोटा में आत्महत्या से यह दूसरी मौत है। पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के एक निवासी ने कथित तौर पर खुद को मार डाला। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार मुरादाबाद के रहने वाले छात्र मोहम्मद जैद ने कोटा में NEET कोचिंग में दाखिला लिया था। 23 जनवरी को उसका शव उसके कमरे में लटका हुआ पाया गया। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था।
कोटा इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए अपने कोचिंग संस्थानों के लिए जाना जाता है। 2023 में कोटा में 29 छात्रों ने आत्महत्या की थी।
कहा जाता है कि छात्रों की संख्या अधिक होने से प्रतिस्पर्धा बेहद ज़्यादा है। पढ़ाई का ख़र्च बेहद ज़्यादा होने और बहुत ज़्यादा उम्मीदें लगाने से अनावश्यक दबाव बनता है। कुछ लोग मानते हैं कि जिस तरह प्रतिस्पर्धा का दबाव और पढ़ाई का तौर तरीका है, वह काफ़ी हद तक बच्चों में डिप्रेशन पैदा करने के लिए ज़िम्मेदार है।
बता दें कि कोटा में आत्महत्याओं की घटनाओं की प्रतिक्रिया में जिला प्रशासन ने पहले एक आदेश जारी किया था जिसमें सभी छात्रावास के कमरों और पेइंग गेस्ट आवास में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने को अनिवार्य किया गया था।
पिछले साल सितंबर महीने में कोटा में कोचिंग संस्थानों को छात्रों के हित में कई क़दम उठाने को कहा गया था। राजस्थान सरकार ने इसके लिए राज्य भर में दिशानिर्देश जारी किए थे। नियमित टेस्ट के परिणामों को गोपनीय रखने, रैंक के आधार पर विशेष बैचों में छात्रों को अलग नहीं करने और संस्थान छोड़ने का आसान रास्ता देने व 120 दिनों के भीतर पैसे वापस करने की नीति अपनाने के दिशा-निर्देश दिए गए थे।
अधिकारी कोचिंग सेंटरों के उच्च दबाव वाले शैक्षणिक वातावरण में छात्रों के सामने आने वाले मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए तत्काल प्रयास कर रहे हैं।
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