प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क़रीब एक पखवाड़ा पहले ही राजस्थान में चुनावी प्रचार के दौरान कन्हैयालाल की हत्या का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया, 'कन्हैया लाल जी की हत्या राज्य सरकार पर एक बड़ा दाग है। उदयपुर में इतनी जघन्य घटना इसलिए हुई क्योंकि कांग्रेस सरकार है जो आतंकवादियों से सहानुभूति रखती है।' पीएम मोदी ने पिछले महीने भी ऐसा ही आरोप लगाया था। उन्होंने चित्तौड़गढ़ में आरोप लगाया था कि कांग्रेस की सरकार ने आवश्यक कार्रवाई नहीं की क्योंकि उन्हें वोट बैंक की चिंता थी।
कन्हैयालाल की हत्या को लेकर इसी तरह के आरोप गृहमंत्री अमित शाह भी लगाते हैं। दरअसल, बीजेपी के छोटे-बड़े समर्थक से लेकर कार्यकर्ता और उसके समर्थक तक ऐसे ही आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे ही आरोपों के बीच हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि दर्जी कन्हैयालाल की हत्या के आरोपी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे।
तो सवाल है कि चुनाव के बीच बीजेपी और कांग्रेस के बीच ये आरोप-प्रत्यारोप क्यों है। इसका जवाब जानने से पहले यह जान लीजिए कि आख़िर यह मामला क्या था।
यह घटना पिछले साल उदयपुर में हुई थी। 28 जून 2022 को दर्जी कन्हैयालाल की उनकी ही दुकान में घुसकर रियाज अत्तारी और गोस मोहम्मद ने धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। कन्हैयालाल को बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन करने के लिए धमकियाँ मिली थीं। नूपुर को पैगंबर मुहम्मद पर उनकी टिप्पणियों के बाद पार्टी ने बर्खास्त कर दिया था, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। पिछले साल 28 जून को गोस मोहम्मद और रियाज ग्राहक बनकर कन्हैया लाल की दुकान पर आए थे। उन्होंने वहां उसकी हत्या कर दी थी, इस जघन्य अपराध का महिमामंडन करते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड किया और इसे ऑनलाइन साझा किया था। उसी दिन दोनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए थे। इस केस को एनआईए ने अपने हाथ ले लिया है। इस मामले में करीब 12 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हत्याकांड में आगे की कार्रवाई एनआईए को करनी है।
इस घटना के बाद से ही कांग्रेस सरकार पर हमला किया जाता रहा है। यह हत्याकांड इस बार चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है। चुनावी सभाओं में न सिर्फ़ स्थानीय नेता बल्कि बीजेपी के राष्ट्रीय नेता भी कन्हैयालाल हत्याकांड का ज़िक्र करते हुए प्रदेश की कांग्रेस सरकार और सीएम गहलोत को कोस रहे हैं।
पिछले महीने चित्तौड़गढ़ में एक जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा था, 'जो उदयपुर में हुआ, क्या उसकी आपने कल्पना भी की थी! जिस राजस्थान ने दुश्मन पर भी धोखे से वार न करने की परंपरा को जीया है, उस राजस्थान की धरती पर कपड़े सिलाने के बहाने लोग आते हैं और बिना डर एवं खौफ के टेलर का गला काट देते हैं।'
गृहमंत्री अमित शाह ने जून महीने में आरोप लगाया था कि गहलोत सरकार तो कन्हैयालाल के हत्यारों को पकड़ना भी नहीं चाहती थी। शाह ने कहा था कि हत्यारों को एनआईए ने पकड़ा था और गहलोत झूठ बोलते हैं कि कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मैं डंके की चोट के साथ कहता हूं कि स्पेशल कोर्ट में सुनवाई की होती तो हत्यारे फांसी पर लटक चुके होते।
इन आरोपों पर अशोक गहलोत ने कहा था, 'अमित शाह झूठ बोल रहे हैं कि कन्हैया लाल के हत्यारे रियाज़ अत्तारी और गोस मोहम्मद को एनआईए ने पकड़ा। सच तो ये है कि वारदात के चार घंटे के अंदर इन लोगों को राजस्थान पुलिस ने धर दबोचा था।' उन्होंने यह भी कहा था कि हत्यारे बीजेपी के सक्रिय सदस्य थे और ये पता लगाना चाहिए कि उन्हें मदद करने वाले बीजेपी के नेता कौन थे।
कुछ दिन पहले ही अशोक गहलोत ने एक बार फिर से कहा है कि कन्हैयालाल हत्याकांड मामले में राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा कि हत्याकांड के तुरंत बाद महज चार घंटों में हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया गया था। गहलोत ने दावा किया कि हत्यारों का बीजेपी से कनेक्शन था इसलिए एनआईए ने अभी तक इस मामले में चालान पेश नहीं किया। उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार ही हमलावरों को बचा रही है और चुनाव के दिनों में माहौल खराब करने के लिए राज्य सरकार पर आरोप लगा रही है।
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