राजस्थान की सियासत में एक बार फिर हलचल है। सूत्रों के मुताबिक, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग रखी है। सचिन पायलट कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे और उस दौरान उन्होंने अपनी यह मांग उनके सामने रखी थी।
एनडीटीवी के मुताबिक, सचिन पायलट ने सोनिया गांधी के साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा से भी कहा कि अगर पार्टी को राजस्थान की सत्ता में वापसी करनी है तो बिना देर किए मुख्यमंत्री बदलना ही होगा वरना हाल पंजाब जैसा हो सकता है, जहां चुनाव से कुछ महीने पहले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया और पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
कर चुके हैं बग़ावत
राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की सचिन पायलट की मांग कोई नई नहीं है। साल 2020 में पायलट अपने समर्थकों के साथ गुड़गांव के मानेसर में स्थित एक रिजॉर्ट में आ गए थे और तब कई दिनों तक पायलट और गहलोत के समर्थकों के बीच जबरदस्त जुबानी जंग चली थी।
कांग्रेस हाईकमान ने बड़ी मुश्किलों के बाद संकट सुलझाया था और अशोक गहलोत को राजी कर पायलट के समर्थकों को राजस्थान कैबिनेट में जगह दिलाई थी।
एनडीटीवी के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व ने सचिन पायलट से राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभालने को कहा लेकिन पायलट इसके लिए तैयार नहीं हैं।
गहलोत का बयान
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ दिन पहले कहा था कि उनका इस्तीफा परमानेंट रूप से कांग्रेस अध्यक्ष के पास है और अगर राज्य में मुख्यमंत्री बदला गया तो किसी को इसकी भनक भी नहीं लगेगी।
युवाओं में लोकप्रिय
सचिन पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट के पुत्र हैं और दिल्ली-एनसीआर से लेकर हरियाणा, राजस्थान में ताकतवर गुर्जर जाति से संबंध रखते हैं। गुर्जर समुदाय में सचिन पायलट का एक बड़ा कद है और राजस्थान सहित इन प्रदेशों के युवा सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग सोशल मीडिया पर करते रहे हैं।
राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव के वक्त सचिन पायलट ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में पार्टी ने अपने 2013 के प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया था।
लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी अशोक गहलोत को मिली थी और पायलट उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल रहे थे। लेकिन बग़ावत के बाद यह दोनों पद उनके हाथों से चले गए।
दूसरी ओर, अशोक गहलोत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं और उन्हें अपने तमाम समर्थकों के साथ ही अपने बेटे वैभव गहलोत के राजनीतिक करियर की भी चिंता है। पायलट की बग़ावत के बाद गहलोत ने उन पर जमकर जुबानी हमले किए थे। कांग्रेस नेतृत्व के लिए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा पाना आसान नहीं होगा।
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