राजस्थान में कोटा के सरकारी जे.के. लोन हॉस्पिटल में बच्चों की मौत की संख्या 104 हो गई है। इस वक़्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बड़ी चिंता क्या होनी चाहिए? बच्चों की जान या विपक्ष की आलोचना का डर? उनके बयान को ही देखिए। गहलोत ने कहा है कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ बने माहौल से ध्यान हटाने के लिए कोटा में बच्चों की मौत के मामले को उठाया जा रहा है। तो अब पूछा जाना चाहिए कि क्या मुख्यमंत्री को इसकी चिंता होनी चाहिए कि नागरिकता क़ानून से ध्यान हटाने के लिए मुद्दे को उठाया जा रहा है या फिर एक-एक जान को बचाने की चिंता होनी चाहिए? यदि ध्यान हटाने के लिए मामले को उठाया जा रहा है तो भी क्या बच्चों की मौत लगातार होते रहने को कमतर आँका जा सकता है?
कोटा में 104 बच्चों की मौत; गहलोत को बयानबाज़ी की चिंता!
- राजस्थान
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- 3 Jan, 2020

राजस्थान में कोटा के सरकारी जे.के. लोन हॉस्पिटल में बच्चों की मौत की संख्या 104 हो गई है। इस वक़्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बड़ी चिंता क्या होनी चाहिए?
हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैंने पहले ही कहा है कि इस साल शिशु मृत्यु दर में पिछले कुछ वर्षों की तुलना में काफ़ी कमी आई है। लेकिन सवाल है कि कितनी कमी आई है और स्वास्थ्य-व्यवस्था कितनी सुधरी है? गहलोत के हाल ही के दावे को मानें तो उन्होंने कहा था कि पहले किसी साल 1500, कभी 1400 और कभी 1300 मौतें होती थीं, लेकिन इस बार क़रीब 900 मौतें हुई हैं। लेकिन सवाल है कि ये 900 मौतें भी क्यों हुईं? क्या यह इतनी बेहतर स्थिति है कि इसकी तारीफ़ की जाए?