राजस्थान में चल रहे सियासी युद्ध के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को एक बार फिर कैबिनेट के सहयोगियों के साथ बैठक की। इस बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्रा की ओर से विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर रखी गई शर्तों को लेकर चर्चा हुई। गहलोत सरकार की ओर से राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए तीसरी बार प्रस्ताव भेजा गया है। गहलोत सरकार ने कहा है कि वह हर हाल में 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती है।
इससे पहले सोमवार को राज्यपाल ने बयान जारी कर कहा था कि सैद्धांतिक रूप से वह विधानसभा सत्र बुलाए जाने के विरोध में नहीं हैं। उन्होंने कोरोना संकट का ज़िक्र करते हुए तीन शर्तें रखी थी। इन शर्तों के अनुसार विधानसभा सत्र तीन हफ़्ते तक नहीं बुलाया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा था कि विधायकों को कोरोना संकट के बीच इतने शॉर्ट नोटिस पर बुलाना मुश्किल होगा तो क्या उन्हें नोटिस के लिए 21 दिन का समय नहीं दिया जाना चाहिए? उन्होंने सवाल उठाया था कि फ़िजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे किया जाएगा?
राज्यपाल ने पूछा था, ‘क्या मुख्यमंत्री विश्वास मत लाना चाहते हैं, क्योंकि प्रस्ताव में इसका ज़िक्र नहीं है और लोगों के बीच मुख्यमंत्री बयान दे रहे हैं कि वह विश्वास मत लाना चाहते हैं?’
विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस राजभवन में विधायकों की नारेबाज़ी से लेकर तमाम क़दम उठा चुकी है। कांग्रेस जानती है कि विधायकों को लंबे समय तक होटल में रखना संभव नहीं है, ऐसे में सत्र बुलाकर तुरंत विश्वास मत हासिल किया जाए।
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