पंजाब के फिरोजपुर जिले में मंगलवार को एक बार फिर पुलिस और किसान आमने-सामने आ गए। बताना होगा कि फिरोजपुर के जीरा के मंसूरवाल गांव में चल रही शराब फैक्ट्री के विरोध में किसान पिछले पांच महीने से धरना दे रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि शराब की फैक्ट्री से यहां का पानी खराब हो रहा है और वे लोग शराब की फैक्ट्री को बंद करवा कर ही पीछे हटेंगे।
पंजाब सरकार के मंत्री अमन अरोड़ा ने किसानों के धरने को अवैध बताया था। पुलिस ने भी किसानों को सरकारी काम में बाधा नहीं डालने की चेतावनी दी है। लेकिन बावजूद इसके कई किसान संगठन इस धरने में जुड़ते जा रहे हैं।
मंगलवार को जब किसान संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारी धरना स्थल पर जाने के लिए पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसे लेकर किसान संगठनों से जुड़े नेता भड़क गए और पुलिस से उनका आमना-सामना हुआ।
पुलिस के लगातार रोकने के बाद भी प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते रहे। इस दौरान जमकर नारेबाजी हुई और पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों के आगे सरकारी बसें खड़ी कर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इसके प्रदर्शनकारी किसान बड़ी संख्या में हाईवे पर ही धरने पर बैठ गए। मौके पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
यहां शिरोमणी अकाली दल के विधायक दीप मल्होत्रा की मलब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से शराब की फैक्ट्री है।
सोमवार को भी यहां जबरदस्त बवाल हुआ था और पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठी भांजी थी। इससे पहले रविवार को भी प्रदर्शनकारियों और किसान नेताओं के बीच अच्छी-खासी झड़प हुई थी।
हालात को देखते हुए इस इलाके में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। किसानों की मांग है कि जीरा में चल रही शराब की फैक्ट्री को यहां से हटाया जाए।
जिला प्रशासन ने यहां पर धारा 144 भी लगा दी है लेकिन बावजूद इसके पंजाब के कई इलाकों से किसान संगठनों से जुड़े नेता यहां पहुंच रहे हैं।
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दिल्ली का किसान आंदोलन
याद दिला दें कि 26 नवंबर, 2020 को किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाल दिया था। किसानों ने एक साल तक तमाम जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया था। कई बार ट्रेनें रोकी गई थीं। किसानों की मांगों के आगे झुकते हुए नवंबर, 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। इसमें बड़ी भूमिका पंजाब के किसानों की रही थी।
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