दरबार साहिब के बाहर चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है और अंदर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की टास्क फोर्स। कई सालों के बाद लाइट मशीन गनों से लैस पुलिस बल तैनात किया गया।
रूसी पोर्टल
लेकिन सरकार के लिए चिंता का एक नया सबब यह है कि अब गुरपतवंत सिंह पन्नू ने खालिस्तानी गतिविधियाँ जारी रखने के लिए एक रूसी पोर्टल का इस्तेमाल किया है। यानी वह अपना दायरा बढ़ा रहा है। शनिवार की देर रात इस पोर्टल के लिंक को भी ब्लॉक कर दिया गया।अकाल तख़्त को चिट्ठी
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 15 जून को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को एक विशेष पत्र लिखकर खालिस्तान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आशीर्वाद माँगा था। पन्नू ने लिखा था कि 4 जुलाई को रेफरेंडम-2020 के लिए मतदाता पंजीकरण शुरू करने से पहले श्री अकाल तख्त साहिब में संगठन के लोग अरदास करेंगे। इस पत्र के आधार पर ही पुलिस अतिरिक्त रूप से मुस्तैद हो गई।मुहिम फुस्स!
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी भी सूरत में पन्नू या अन्य अलगाववादियों को पंजाब में पैर पसारने नहीं देना चाहते। सरकारी खुफ़िया एजेंसियों के आला अधिकारियों के मुताबिक़, एसएफ़जे और पन्नू का अभियान पंजाब में एकबारगी तो फुस्स हो गया है। राज्य के दो-तीन शहरों से ऐसी ख़बरें ज़रूर हैं कि दीवारों पर रेफरेंडम-2020 और खालिस्तान जिंदाबाद के पोस्टर गुपचुप ढंग से लगाए गए। लेकिन पुलिस ने उन्हें हटा दिया और अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया।अब एसएफजे ने भारत के मित्र देश रूस के पोर्टल के जरिए ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू किया। शनिवार को रूसी वेबसाइट www.pun-jabfree.ru से पंजीकरण की कवायद शुरू की गई। हालांकि देर रात इस लिंक को ब्लॉक कर दिया गया, लेकिन यह खुफ़िया एजेंसियों के लिए ख़तरे की घंटी तो है ही। इसलिए कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए रूसी साइबर स्पेस का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच खटास पैदा कर सकता है।
रूसी साइबर स्पेस तक पहुँच!
कुछ दिन पहले जब पन्नू ने ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण की बात कही थी तब से कयास लगाए जा रहे थे कि एसएफ़जे अमेरिकन वेबस्पेस का इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन गुरपतवंत ने शनिवार को जिस वेबसाइट को तैयार कर ऑनलाइन वोटिंग शुरू करवाई, वह रूस के साइबर स्पेस की निकली। इससे कई तरह के सवाल भी उठे हैं। रूस में अपनी ज़मीन से काम करने के लिए वेब पोर्टल्स के लिए बेहद कठोर कानूनी ढाँचा है। वहाँ तक पन्नू की पहुँच होना मामूली बात नहीं है।सिमरनजीत सिंह मान के अमृतसर अकाली दल सरीखे इक्का-दुक्का सियासी संगठन खालिस्तान का खुला समर्थन करते हैं, लेकिन वे भी रजिस्ट्रेशन के लिए एसएफ़जे के साथ नहीं आए।
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