मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ उबल रहे पंजाब और हरियाणा में किसान संगठनों ने बड़ी लड़ाई के लिए कमर कस ली है। आज से पंजाब में रेल रोको आंदोलन शुरू हो गया और यह तीन दिन तक चलेगा। कृषि विधेयकों के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद इन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने का इंतजार है जिससे ये क़ानून बन सकें। हालांकि विपक्ष ने राष्ट्रपति से दरख़्वास्त की है कि वे इन विधेयकों पर दस्तख़त न करें। रेल रोको आंदोलन के दौरान किसान अमृतसर सहित कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर धरने पर बैठ गए। किसानों के आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने 14 जोड़ी विशेष ट्रेनों को 26 सितंबर तक रद्द कर दिया है। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने जमकर नारेबाजी भी की।
पंजाब में आंदोलन का नेतृत्व कर रही किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सतनाम सिंह पन्नू ने कहा है कि 24 से 26 सितंबर तक रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को पंजाब बंद के दौरान जो भी रैलियां होंगी, उनमें किसी भी नेता को मंच पर जगह नहीं दी जाएगी और न ही बोलने की इजाजत होगी। बताया गया है कि इस आंदोलन को राज्य के 30 किसान संगठनों का समर्थन हासिल है।
पन्नू ने सरकार को चेतावनी दी कि उनका आंदोलन आने वाले दिनों में और तेज होगा और 25 सितंबर के बंद को पूरी तरह सफल बनाने के लिए उनके संगठन के लोग तैयार हैं। कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसानों को आढ़ती एसोसिएशन, रिटायर्ड सैनिकों सहित अन्य संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।
पंजाब में पहले से ही कई जगहों पर किसानों का धरना चल रहा है और ऐसे में जब मोदी सरकार इन विधेयकों को लेकर अड़ गई है तो इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में किसानों का आंदोलन और तेज होगा।
इसी तरह पंजाब से सटे राज्य हरियाणा में भी किसानों का आंदोलन चरम पर है। यहां किसानों को कांग्रेस पार्टी का भी भरपूर साथ मिल रहा है। बुधवार को बड़ी संख्या में कांग्रेसियों ने ट्रैक्टर-ट्रालियां लेकर प्रदर्शन किया जिससे जीटी रोड पर जाम लग गया। यहां के किसान संगठनों ने भी पंजाब के संगठनों के साथ मिलकर 25 सितंबर के भारत बंद के लिए जोरदार तैयारी की हुई है। गुरूवार को भी किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया।
चढ़ूनी ने की अपील
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि 25 सितंबर को सभी लोग किसानों को समर्थन दें। उन्होंने कहा कि आढ़ती एक दिन के लिए मंडियां बंद रखें और किसानों को समर्थन देने वाले लोग सड़कों पर बैठ जाएं। उन्होंने किसानों से अपील की कि पुलिस से न भिड़ें और प्रदर्शन शांतिपूर्वक होना चाहिए।
राष्ट्रपति से मिले आज़ाद
कृषि विधेयकों के मसले पर जारी गतिरोध के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद बुधवार शाम को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिले। आज़ाद ने राष्ट्रपति के सामने किसानों की चिंताओं को रखा। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, आज़ाद ने राष्ट्रपति से मुलाक़ात के बाद कहा कि सरकार को इन विधेयकों को लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों और किसानों के नेताओं से बातचीत करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति को दिए प्रस्ताव में कहा गया है कि इन विधेयकों को ग़ैर-क़ानूनी ढंग से पास किया गया है और उन्हें इन विधेयकों को वापस लौटा देना चाहिए। कृषि विधेयकों को लेकर संसद के दोनों सदनों के अलावा सड़क पर भी जोरदार विरोध हो रहा है। किसानों का कहना है कि वे इन विधेयकों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
संसद परिसर में प्रदर्शन
मॉनसून सत्र के दौरान चले जोरदार हंगामे के बीच बुधवार को राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। बुधवार को भी विपक्षी दलों के सांसदों ने कृषि विधेयकों को लेकर संसद परिसर में प्रदर्शन किया था। उन्होंने हाथों में ‘किसानों को बचाओ’ और ‘किसानों, मजदूरों और लोकतंत्र को बचाओ’ लिखे हुए पोस्टर लिए हुए थे। इनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, समाजवादी पार्टी की जया बच्चन व अन्य सांसद मौजूद थे।
इससे पहले कृषि विधेयकों का पुरजोर विरोध कर रहे विपक्षी दलों के 8 सांसदों ने सोमवार रात को संसद के लॉन में ही धरना दिया था। ये वे सांसद हैं, जिन्हें रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद एक हफ़्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को यह कार्रवाई की थी। नायडू का कहना था कि सांसदों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह बेहद ख़राब था। इन सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नाज़िर हुसैन और एलामारान करीम शामिल हैं। राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद रविवार को काफी देर तक हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी।
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