ऑपरेशन ब्लू स्टार के 35 साल बीत जाने के बाद भी सिख समुदाय के घाव नहीं भरे हैं। सिखों को नहीं लगता है कि उनका साथ अब तक न्याय हो पाया है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात कर कहा है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सेना स्वर्ण मंदिर से कई पुरातत्व महत्व की चीजें, धार्मिक किताबें और दूसरी अहम चीजें ले गईं, उन्हें वापस किया जाए।
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6 जून को हमें उन पापों की याद आती है जो इंदिरा गाँधी की कांग्रेस सरकार ने किए थे जब उन्होंने सिखों के सबसे पवित्र धर्मस्थल पर टैंक भेज दिए थे, इसमें सैकड़ों निर्दोष मारे गए थे। इस घटना के 35 साल बीत जाने के बाद भी हमारे साथ न्याय नहीं हुआ। एनडीए सरकार के केंद्र में रहते हुए हमें उम्मीद है कि उस कांड से जुड़े कुछ मामले सुलझा लिए जाएँगे।
सुखबीर सिंह बादल, नेता, शिरोमणि अकाली दल
उन्होंने केंद्र सरकार के सामने तीन माँगें रखी हैं। बादल के मुताबिक़ सेना के लोग अपने साथ सिख इतिहास से जुड़े कई अनमोल चीजें ले गए। इनमें पुरातत्व महत्व की चीजें हैं, बहुमूल्य किताबें हैं, गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी कुछ चीजें हैं। इन चीजों को तुरन्त वापस किया जाना चाहिए।
सुखबीर सिंह बादल ने गृह मंत्री को दिए एक लिखित ख़त में कहा है कि सिख समुदाय के 309 सैनिकों ने भावावेश में आकर सेना की नौकरी छोड़ दी थी। इनमें से सिर्फ़ 100 बचे हुए हैं। उन्हें कम से कम पेंशन तो मिलनी ही चाहिए।
उन्होंने यह माँग भी कि गुरु नानक के जन्म के 550 साल पूरे होने पर पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब तक एक जत्था भेजा जाए जो वहाँ नगर कीर्तन करे।
दूसरी ओर, अकाल तख्त के जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने माँग की है कि संसद प्रस्ताव पारित कर ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए सिख समुदाय से माफ़ी माँगे।
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संसद में प्रस्ताव लाया जाए, जिसमें यह कहा जाए कि जो हुआ ग़लत हुआ और ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए माफ़ी माँगी जाए।
हरप्रीत सिंह, जत्थेदार, अकाल तख्त
ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर इस तरह की माँग उठना स्वाभाविक है क्योंकि यह अध्याय बंद नहीं हुआ है। सिख विरोधी दंगों के लिए दोषी माने जाने ज़्यादातर लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं हुई, वे खुले आम घूम रहे हैं। इससे ज़्यादातर सिख अपमानित महसूस करते हैं। इसका राजनीतिक महत्व यह है कि हर बार पंजाब में चुनावों के समय यह मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया जाता है ताकि इस मुद्दे पर कांग्रेस को निशाने पर लाया जाए। लेकिन उसके बाद कुछ ठोस नहीं होता है।
इस बार के संसदीय चुनाव में भी पंजाब में मतदान के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह मुद्दा उठाया और कांग्रेस को घेर लिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि पूरे पाँच साल तक सरकार में बने रहने के बावजूद मोदी सरकार ने सिख विरोधी दंगों पर क्या किया। यह सवाल इसलिए भी ज़रूरी है कि मोदी सरकार में शिरोमणि अकाली दल भी शामिल थी। अब जबकि चुनाव हो चुके हैं, सरकार ने पदभार संभाल लिया है, सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर मंत्री बन चुकी हैं, एक बार यह मुद्दा उठा कर खानापूरी कर ली गई है। शिरोमणि अकाल दल अब यह दावा कर सकेगी कि उसने सरकार के साथ बात कर मुद्दा उठाया था।
मोदी सरकार ऑपरेशन ब्लू स्टार पर माफ़ी माँगने के मुद्दे पर क्या करती है, यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि अब तो अकेले बीजेपी के पास 303 सांसद है जो किसी भी प्रस्ताव के पारित कराने के लिए पर्याप्त है।
इसके साथ यह सवाल भी उठना लाज़िमी है कि भारतीय संसद किन-किन कांडों के लिए माफ़ी माँगेगी। क्या यह गुजरात दंगों के लिए भी माफ़ी मांगेगी? क्या उस दंगे से जुड़े लोगों को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए? ये सवाल स्वाभाविक हैं। लेकिन ये सवाल मौजूदा सरकार को पसंद नहीं आएँगे।
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