पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू शुक्रवार रात को पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले। मुलाक़ात के बाद सिद्धू ने पत्रकारों को बताया, “मेरी जो चिंताएं थीं, मैंने उन्हें राहुल जी के सामने रखा, वे सब हल हो गई हैं।” सिद्धू ने बीते महीने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर पंजाब की राजनीति में ख़ासी हलचल मचा दी थी।
सिद्धू के बयान का यह मतलब समझा जाना चाहिए कि अब वह एक बार फिर से सक्रिय होकर मैदान में दिखाई देंगे।
सिद्धू की राहुल गांधी के साथ मुलाक़ात के बाद पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने कहा, “सिद्धू ने राहुल गांधी से कहा है कि वे प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपना काम शुरू कर रहे हैं।”
सिद्धू गुरूवार शाम को पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय दफ़्तर पहुंचे थे। यहां सिद्धू ने हरीश रावत और पार्टी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के सामने अपनी बातों को रखा था।
पेशी के बाद सिद्धू ने पत्रकारों से कहा था, “मैंने पंजाब को लेकर, पंजाब कांग्रेस को लेकर जो मेरी चिंताएं थीं, उन्हें पार्टी हाईकमान को बताया है। मुझे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर पूरा भरोसा है। मुझे पूरा भरोसा है कि वे जो भी फ़ैसला लेंगे, वो पंजाब के हित में होगा।
क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने कहा था कि वह पार्टी हाईकमान के हर आदेश का पालन करेंगे।
इसके बाद हरीश रावत ने कहा था, “सिद्धू अपनी बात कह चुके हैं कि वे कांग्रेस नेतृत्व के आदेश का पालन करेंगे और आदेश साफ है कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर अपना काम पूरी ताक़त के साथ करें।”
मतलब साफ है कि पार्टी हाईकमान चाहता है कि सिद्धू बतौर प्रदेश अध्यक्ष काम करें। कांग्रेस नहीं चाहती कि पंजाब उसके हाथ से निकल जाए, इसलिए वह काफी फूंक-फूंक कर क़दम रख रही है और सिद्धू की तमाम हरक़तों को नज़रअंदाज करने के लिए भी मजबूर है।
दूरियां ख़त्म?
इससे पहले सिद्धू मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बेटे के शादी समारोह में नहीं दिखाई दिए थे और यह माना गया था कि दोनों नेताओं के बीच दूरियां बरकरार हैं। लेकिन अब जब सिद्धू ने कहा है कि उनके जो मुद्दे थे, वे सब हल हो गए हैं, तो माना जाना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री के साथ मिलकर पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए जुटेंगे।
हाईकमान को दिया था झटका
कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लाख विरोध के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफ़ा देकर हाईकमान को जोर का झटका दिया था। इससे हाईकमान की ख़ासी किरकिरी हुई थी और साथ ही अमरिंदर सिंह ने भी पार्टी से पूरी तरह किनारा कर लिया।
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