कांग्रेस हाईकमान के द्वारा पंजाब में बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के उतरने के फैसले से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सहमत नहीं हैं। सिद्धू ने न्यूज़ 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि 2017 में आम आदमी पार्टी बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव मैदान में गई थी और तब खुद उन्होंने पूछा था कि बारात का दूल्हा कौन है, इसलिए इस बार लोग हमसे इस बारे में पूछेंगे।
सिद्धू ने कुछ दिन पहले भी कहा था कि वह मुख्यमंत्री के चेहरे के सवाल पर शोपीस बनकर नहीं रहेंगे।
जबकि चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि हाईकमान ने इस बारे में फैसला ले लिया है। जाखड़ ने एएनआई से कहा कि किसी को अच्छा लगे या किसी को बुरा, हमारे चुने हुए विधायक चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री का चयन करेंगे।
बता दें कि कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब की कांग्रेस इकाई को यह संदेश दिया है कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हाईकमान ने यह फैसला कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी रार को देखते हुए ही लिया है।
उधर, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी चुनावी सभाओं में खुद को एक और मौका देने की अपील करते दिख रहे हैं।
अमरिंदर को घोषित किया था चेहरा
2017 में कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर मैदान में उतारा था लेकिन अधिकतर बार ऐसा हुआ है कि हाईकमान ने पंजाब में किसी नेता को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित नहीं किया है और इस बार भी हाईकमान ने यही रास्ता पकड़ा है।
हाईकमान ने कांग्रेस की पंजाब इकाई को संदेश दिया है कि नवजोत सिंह सिद्धू को सिख जाट, चरणजीत सिंह चन्नी को दलित और सुनील जाखड़ को हिंदू चेहरे के तौर पर चुनाव में आगे रखा जाएगा। हाईकमान के इस फैसले पर सिद्धू का रुख आने वाले दिनों में क्या रहता है यह देखने वाली बात होगी।
सिद्धू के बारे में यह साफ है कि वह राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और बीते कई दिनों में कई बार चन्नी सरकार के खिलाफ नाराजगी का इजहार कर चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी और सुनील जाखड़ को दिल्ली बुलाकर उनसे बातचीत की थी और चुनाव की तैयारियों में जुटने के लिए कहा था।
हाईकमान ने प्रताप सिंह बाजवा, अंबिका सोनी सहित राज्य कांग्रेस के तमाम आला नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपते हुए पंजाब में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। इस बीच, राहुल गांधी 3 जनवरी को पंजाब के दौरे पर आ रहे हैं। राहुल मोगा में एक चुनावी रैली कर कांग्रेस के प्रचार अभियान का आगाज करेंगे।
लेकिन देखना होगा कि कांग्रेस हाईकमान के किसी भी नेता को चेहरा ना बनाने के फैसले का क्या कोई असर पंजाब में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान पर पड़ता है या नहीं।
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