पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की सियासी लड़ाई एक बार फिर चौराहे पर आ गई है। अमरिंदर-सिद्धू के बीच यह जंग अब इसलिए चौराहे पर आ गई है क्योंकि अमरिंदर सरकार ने सिद्धू के ख़िलाफ़ जांच तेज़ कर दी है। 2015 में हुए गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी और कोटकपुरा गोलीकांड मामले में सिद्धू लगातार कैप्टन पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को बचाने का आरोप लगा रहे हैं।
पंजाब सरकार के विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो ने सिद्धू के मंत्री रहने के दौरान उनके द्वारा किए गए कुछ संदेहपूर्ण फ़ैसलों में जांच को फिर से शुरू किया है। यह विभाग सीधा मुख्यमंत्री के अंदर आता है। माना जा रहा है कि सिद्धू के अमरिंदर पर हालिया हमलों के बाद अमरिंदर सिंह भी चुप नहीं रहना चाहते और सरकार का यह क़दम ही उनका जवाब है।
हालांकि इन मामलों में तब जांच शुरू हो चुकी थी जब सिद्धू ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अमरिंदर कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था। लेकिन जांच के नाम पर हुआ कुछ नहीं था यानी जांच की प्रगति शून्य थी। लेकिन अचानक से विजिलेंस विभाग ने फिर से जांच शुरू कर दी है और इस बार इसकी रफ़्तार तेज़ है।
क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने अमरिंदर सरकार के इस क़दम के बाद ट्वीट कर कहा कि वह इसका स्वागत करते हैं और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पूरी कोशिश करें। यह सिद्धू की ओर से एक तरह का तंज है।
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बादलों पर भी हमलावर हैं सिद्धू
बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आने वाले सिद्धू इस मामले में अमरिंदर सिंह के साथ ही बादल परिवार पर भी हमलावर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उनके बेटे और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को लेकर सिद्धू कहते हैं कि सिख समुदाय इन लोगों को गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी और कोटकपुरा गोलीकांड के लिए दोषी ठहरा रहा है। सिद्धू इन मामलों के दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर लगातार आवाज़ उठा रहे हैं।
सिद्धू के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा
सिद्धू को लेकर अब पंजाब कांग्रेस में जंग वाले हालात बन गए हैं। अमरिंदर सरकार के सात मंत्री खुलकर मुख्यमंत्री के पक्ष में आगे आए हैं और उन्होंने सिद्धू के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है। कांग्रेस सरकार में मंत्री बलबीर सिद्धू, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु, गुरप्रीत सिंह कंगर सहित कुछ अन्य मंत्रियों ने कहा है कि सिद्धू की आम आदमी पार्टी और बीजेपी से मिलीभगत है और वह कांग्रेस को नुक़सान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि सिद्धू को पार्टी से निलंबित कर दिया जाना चाहिए।
अब क्यों भड़क गए सिद्धू?
अमरिंदर कैबिनेट से इस्तीफ़ा देकर लंबे वक़्त तक कोपभवन में बैठे रहे सिद्धू को मनाने की लाख कोशिशें कांग्रेस आलाकमान ने की। हरीश रावत जब पंजाब के प्रभारी बने तो उन्होंने भी सिद्धू को मनाया। सिद्धू उनकी बातों को मानते भी दिखे और मार्च के महीने में वे कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने भी पहुंचे तो लगा कि अब सब ठीक हो गया है और वह जल्द ही फिर से पंजाब सरकार में शामिल होंगे।
लेकिन कुछ दिन पहले ही जब कोटकपुरा गोलीकांड में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब एसआईटी की रिपोर्ट को रद्द कर दिया और अमरिंदर सरकार ने नई एसआईटी का गठन किया तो सिद्धू बुरी तरह भड़क गए। सिद्धू ने ट्वीट कर कहा कि पंजाब के गृह मंत्री की अक्षमता के कारण राज्य सरकार हाई कोर्ट का आदेश मानने को मजबूर है।
सिद्धू ने कहा, “नई एसआईटी को छह महीने का वक़्त देने से पंजाब में जनता से चुनाव से पहले किया वादा पूरा नहीं हो सकेगा और ऐसा जान बूझकर किया जा रहा है।”
सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर का वह वीडियो भी शेयर किया था जिसमें वह 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वादा कर रहे हैं कि वह सत्ता में आने पर इस मामले में प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे।
सिद्धू के पक्ष में रंधावा
पंजाब के जेल मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा सिद्धू के पक्ष में खुलकर आगे आए हैं। रंधावा ने कहा है कि विजिलेंस विभाग पिंजड़े में बद तोते जैसा है और इसका दुरुपयोग राज्य सरकारें करती रही हैं।
रंधावा ने भी गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी और कोटकपुरा गोलीकांड में हो रही जांच से नाराज़ होकर इस्तीफ़ा दे दिया था। रंधावा का कहना है कि विजिलेंस विभाग से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती है। रंधावा ने कहा कि सिद्धू को जांच का सामना करना चाहिए और अगर वह सही हैं तो वह उनके साथ चट्टान की तरह खड़े हैं।
क्या है कोटकपुरा गोलीकांड?
अक्टूबर, 2015 में फरीदकोट जिले के गांव बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के बाहर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद सिख समाज ने पंजाब में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। साथ ही विदेशों में रहने वाले सिखों ने भी इस घटना को लेकर रोष का इजहार किया था।
घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे सिखों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। धरने के दौरान पुलिस की गोलीबारी में कोटकपुरा में दो लोगों की मौत हो गई थी और इसके बाद यह मामला बेहद तूल पकड़ गया था।
अकाली दल की हार
2017 के विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बना था और इस घटना को लेकर सिख समुदाय तब की शिरोमणि अकाली दल सरकार से ख़ासा नाराज़ था। 2017 में अकाली दल की सत्ता से विदाई हो गई थी और इसके पीछे कारण इसी घटना को माना गया था।
आलाकमान की हरी झंडी!
पंजाब में विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ 8 महीने का वक़्त बचा है, ऐसे में सिद्धू की अमरिंदर के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी से पार्टी को नुक़सान हो सकता है। सिद्धू अकेले नहीं हैं बल्कि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा का समर्थन उनके साथ है। कांग्रेस आलाकमान ने शायद इस मामले में अमरिंदर को कार्रवाई करने की छूट दे दी है और तभी विजिलेंस विभाग ने सिद्धू के ख़िलाफ़ सुस्त पड़ी जांच को तेज़ कर दिया है।
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