पंजाब के विधानसभा चुनाव में मतदान से चंद दिन पहले कवि कुमार विश्वास के आरोपों से खलबली मच गई है। जिस आम आदमी पार्टी को लेकर कई चुनावी सर्वे और राजनीतिक विश्लेषक कह रहे थे कि वह राज्य में सरकार बना सकती है, कुमार विश्वास के आरोपों के कारण वह घिरती दिख रही है।
कुमार विश्वास के आरोपों में कितनी सच्चाई है यह जांच के बाद पता चलेगा लेकिन क्योंकि वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे हैं, लंबे वक्त तक अरविंद केजरीवाल के साथ काम करते रहे हैं, ऐसे में उनके इन आरोपों को कांग्रेस और बीजेपी ने हाथों-हाथ लिया है।
कुमार विश्वास के आरोपों के बाद क्या राहुल गांधी और क्या नरेंद्र मोदी, दोनों ने ही केजरीवाल पर खुलकर हमला बोला। राहुल गांधी ने तो केजरीवाल से यह तक पूछा कि वह बताएं कि कुमार विश्वास सच बोल रहे हैं या नहीं?
असल मुद्दा यह है कि कुमार विश्वास के आरोपों से क्या आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसके लिए पंजाब के इतिहास को समझना जरूरी होगा और कुमार विश्वास ने क्या कहा था यह भी जानना होगा।
क्या कहा था विश्वास ने?
कुमार विश्वास ने दावा किया था कि जब वह आम आदमी पार्टी में थे तो केजरीवाल ने उनसे कहा था कि या तो वह एक आजाद सूबे का मुख्यमंत्री बनेंगे और उनके यह कहने पर कि खालिस्तान को लेकर रेफरेंडम होने जा रहा है, इस पर केजरीवाल ने कहा था कि ऐसे में वह एक आजाद देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे।आतंकवाद का दंश
पंजाब एक बॉर्डर स्टेट मतलब सीमावर्ती राज्य है जिसकी लगभग 600 किलोमीटर सीमा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से लगती है। पंजाब में 1970-80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन ने जोर पकड़ा था जिसके तहत कट्टरपंथियों ने मांग थी कि सिखों के लिए एक अलग मुल्क बनाया जाए। उस वक्त गुरुओं की धरती पंजाब लाशों की मंडी बन गया था और 35 से 40,000 लोगों को अपनी शहादत देनी पड़ी थी। इसमें सिख और हिंदू समुदाय दोनों के ही लोग शामिल थे।
लेकिन वक्त के साथ पंजाब आगे बढ़ा और खालिस्तान आंदोलन कमजोर पड़ गया। लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अभी भी भारत के सिखों को खालिस्तान के नाम पर भड़काती रहती है। 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को भी खालिस्तानी आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल कुछ लोगों के घर पर रुके थे और तब यह बात सामने आई थी कि जिन लोगों के वहां वह रुके थे, वे लोग कट्टर थे और खालिस्तान के पैरोकार थे। बीते चुनाव में यह बात भी सामने आई थी कि अरविंद केजरीवाल खुद ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने किसी नेता को सीएम का चेहरा नहीं बनाया।
पंजाब के राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक खालिस्तान समर्थकों से नजदीकी और किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा ना बनाने की वजह से आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ और वह सिर्फ 20 सीटों पर आकर सिमट गई।
ग़लतियों से लिया सबक
इस विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने खालिस्तान समर्थकों से नजदीकी जैसी कोई गलती नहीं की और थोड़ी देरी से ही सही भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन मतदान से ठीक पहले कुमार विश्वास ने सनसनीखेज आरोप लगाकर माहौल को बेहद तनावपूर्ण कर दिया।
तनावपूर्ण इसलिए क्योंकि पंजाब के लोग किसी भी सूरत में राज्य में आतंकवाद की वापसी नहीं चाहते। उन्होंने आतंकवाद के दंश को झेला है और कुमार विश्वास ने अपने आरोप में यही बात कही कि केजरीवाल ने उनसे कहा था कि वह एक स्वतंत्र देश इसका मतलब खालिस्तान से था, के प्रधानमंत्री बन जाएंगे। निश्चित रूप से पंजाब की 38 फीसद हिंदू आबादी के बीच जब यह बात पहुंची और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इसे उठाया तो इसका तूल पकड़ना लाजिमी था।
कुमार विश्वास के आरोप सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी ने इसका जोरदार ढंग से जवाब देने की कोशिश की लेकिन सोशल मीडिया पर यह मुद्दा इतना बड़ा हो गया है कि पार्टी कहां तक और कितना जवाब दे, यह तय करना उसके लिए मुश्किल हो गया है।
केजरीवाल ने भी कहा कि अगर वह आतंकवादी हैं तो केंद्र में रही कांग्रेस और बीजेपी की सरकार क्या कर रही थी क्यों नहीं अब तक उन्हें गिरफ्तार किया गया। कुमार विश्वास पर राज्यसभा की सदस्यता ना मिलने को लेकर प्रोपेगेंडा शुरू करने का आरोप आम आदमी पार्टी ने लगाया। लेकिन कुमार विश्वास यह तीर छोड़ चुके हैं और इससे आम आदमी पार्टी को कितना नुकसान हुआ है, इसका सही पता पंजाब के चुनाव नतीजे आने पर ही चल सकता है।
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