हाथरस गैंगरेप केस के बाद इसी तरह का एक और मामला राजनीति के केंद्र में आ गया है। इस पर भी घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं और राजनीतिक दल बिल्कुल संवेदनहीन होकर एक-दूसरे पर चोट कर रहे हैं।
पंजाब के होशियारपुर में बिहारी प्रवासी मज़दूर की 6 साल की बच्ची से बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या ने भारतीय जनता पार्टी को एक मौका दे दिया है कि वह कांग्रेस पार्टी और उसके बड़े नेताओं पर हमले करे। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नज़दीक समझे जाते हैं।
निशाने पर राहुल
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा है कि वह 'राजनीतिक पर्यटन' बंद करें और पंजाब जाकर 'महिला के ख़िलाफ़ हुए अपराध का संज्ञान लें'।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी 'चुनिंदा मुद्दों पर क्रोध जताने' और 'ट्वीट करने के लिए' कांग्रेस पर हमला किया और पूछा कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं।
जावड़ेकर ने कहा,
“
'न तो राहुल गांधी, न प्रियंका गांधी न ही सोनिया गांधी ने टांडा जाकर पीड़िता के परिजनों से मुलाक़ात की। वे अपनी पार्टी शासित राज्यों में महिलाओं पर होने वाले ज़ुर्म पर कोई ध्यान नहीं देते, पर हाथरस जाकर उन्होंने तसवीरें खिंचवाई।'
प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय मंत्री
इसी तरह निर्मला सीतारमण ने सवाल किया, 'ये भाई-बहन वहां क्यों नहीं जाते हैं? उनकी कलई पूरी तरह खुल चुकी है, वे सब जगह तो जाते हैं पर यदि इस तरह का अपराध उन राज्यों में हो जहां उनकी सरकार है तो ये नहीं जाते। ट्वीट करने वाले राहुल गांधी ने एक शब्द नहीं कहा है।'
संवेदनहीन राजनीति
कांग्रेस पर यह हमला महत्वपूर्ण इसलिए है कि हाथरस गैंगरेप केस को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया था और राहुल व प्रियंका गांधी पीड़िता के परिजनों से मिलने गए थे। उसके पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने राहुल गांधी को रोकने की कोशिश की थी और उन्हें हिरासत में ले लिया था। इस कांड से जिस तरह योगी आदित्यनाथ सरकार निपटी थी, उस पर गंभीर सवाल उठे थे, पार्टी और सरकार की बदनामी हुई थी।अब जबकि पंजाब में ऐसा ही कांड हुआ तो है कांग्रेस चुप है। जाह़िर है, ऐसे में बीजेपी को हमला करने का मौका मिल गया है। पर जिस तरह जावड़ेकर और सीतारमण राहुल से सवाल कर रहे हैं, उनसे भी सवाल किया जा सकता है कि क्या वे हाथरस गए थे, क्या उन्होंने ट्वीट किया था। अब वे शोर मचा रहे हैं, पर उस समय चुप क्यों थे।
दरअसल इन दोनों ही कांडों से यह साफ हो गया है कि राजनीतिक दल किसी भी मौके का सियासी फ़ायदा ही उठाना चाहते हैं। वे एक ही मुद्दे पर अलग-अलग समय में अलग-अलग मानदंड अपनाते हैं। यह कांग्रेस के साथ सच है और बीजेपी के साथ भी।
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