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सलाहकारों को हटाएं सिद्धू वरना मैं हटाने का निर्देश दूंगा: रावत

पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर शुरू हुए बवाल में कांग्रेस हाईकमान का संदेश साफ है। पहली बार में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुरजोर विरोध के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने वाला हाईकमान इस बार कैप्टन के साथ है। साथ ही वह सिद्धू से ख़फ़ा है, यह बात भी उसने साफ कर दी है। 

पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि सिद्धू के सलाहकारों के बयान पर पार्टी को सख़्त आपत्ति है और जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। उन्होंने कहा कि इन सलाहकारों को पार्टी की राय से नहीं बनाया गया है और हमें इनकी ज़रूरत नहीं है। 

रावत ने और सख़्त होते हुए कहा कि सिद्धू को इन सलाहकारों को हटा देना चाहिए और ज़रूरत पड़ी तो वे इन्हें हटाने का निर्देश देंगे। 

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सिद्धू ने हाल ही में चार सलाहकार नियुक्त किए थे। लेकिन इनमें से दो सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग के विवादित बयानों ने पार्टी को मुसीबत में डाल दिया है। 

माली और गर्ग के बयान 

माली ने कुछ दिन पहले एक फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा था, “कश्मीर कश्मीरियों का देश है। 1947 में अंग्रेजों के भारत छोड़ते वक़्त किए गए समझौते के अनुसार और यूएनओ के फ़ैसले के ख़िलाफ़, कश्मीर को दो भागों में बांट दिया गया और इस पर भारत और पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया।” माली ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर एक विवादित स्कैच भी फ़ेसबुक पर पोस्ट किया था। जिसे लेकर तमाम कांग्रेसियों ने नाराज़गी जताई थी। 

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जबकि प्यारे लाल गर्ग ने अमरिंदर सिंह के पाकिस्तान की आलोचना करने को लेकर सवाल उठाया था। इन दोनों के बयानों को लेकर मुख्यमंत्री के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी। तिवारी ने कहा था कि क्या ऐसे लोगों को इस देश में रहने का कोई हक़ है।

बुधवार को हरीश रावत ने साफ किया था कि अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही कांग्रेस पंजाब में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी और वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जबकि बाग़ी विधायकों ने बैठक कर 34 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था। रावत से मिलने देहरादून पहुंचे विधायकों-मंत्रियों का कहना था कि वे दिल्ली तक अपनी आवाज़ को पहुंचाएंगे। इस बारे में रावत का कहना है कि विवाद को सुलझा लिया जाएगा। 

नाराज़ विधायकों का कहना है कि कोई काम नहीं हुआ है और वादों को भी पूरा नहीं किया गया है। ऐसे में अमरिंदर को बदलने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है।
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क़मर वहीद नक़वी
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