पंजाब के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने में जुटी बीजेपी ने मंगलवार को एक बार फिर कांग्रेस में बड़ी सेंध लगाई। पंजाब में कांग्रेस के दो विधायक उसके साथ आ गए। इन दो विधायकों में से एक कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेह जंग बाजवा हैं।
फतेह जंग बाजवा पंजाब की कादियां सीट से विधायक हैं। इस तरह की भी खबरें हैं कि प्रताप सिंह बाजवा खुद यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। अगर ऐसी सूरत बनी तो दोनों भाई आमने-सामने होंगे।
दूसरे कांग्रेस विधायक जो बीजेपी में शामिल हुए हैं उनका नाम बलविंदर सिंह लाडी है और वह हरगोबिंदपुर सीट से विधायक हैं। इसके अलावा पूर्व क्रिकेटर दिनेश मोंगिया ने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली है।
इन सभी नेताओं को पंजाब में बीजेपी के चुनाव प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने पार्टी में शामिल कराया।
कुछ दिन पहले ही एक और विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सोढ़ी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
अमरिंदर भी दे रहे झटका
इसके अलावा कांग्रेस के कई पूर्व विधायक, पंजाब कांग्रेस के कई बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस में भी शामिल हो रहे हैं। ऐसा माना जा सकता है कि आने वाले दिनों में टिकट न मिलने की सूरत में कुछ और कांग्रेस नेता बीजेपी या पंजाब लोक कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।
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बीजेपी ने बीते दिनों में सिख समुदाय से जुड़े कई अहम लोगों को पार्टी में शामिल किया है। गुरमीत सिंह सोढ़ी के अलावा मनजिंदर सिंह सिरसा और कुलदीप सिंह भोगल का नाम भी इसमें प्रमुखता से लिया जा सकता है।
गठबंधन फ़ाइनल
सोमवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली आए थे और उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। अमरिंदर सिंह के साथ शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के प्रधान सुखदेव सिंह ढींढसा भी दिल्ली पहुंचे थे। बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद इस बात का एलान किया गया था कि तीनों दल पंजाब में मिलकर चुनाव लड़ेंगे और तीनों दलों का घोषणा पत्र एक ही होगा।
इस बात की संभावना जताई जा रही है कि गठबंधन में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में होगी। 117 सीटों वाले पंजाब में बीजेपी 70 से 75 सीटों पर, अमरिंदर सिंह 35 से 40 सीटों पर और ढींढसा की पार्टी 7 से 10 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
लेकिन अहम बात यह होगी कि कृषि कानूनों के कारण बीजेपी से लंबे वक्त तक नाराज रहे किसान क्या विधानसभा चुनाव में उसे या उसके गठबंधन में शामिल दलों को वोट देंगे।
चंडीगढ़ के नतीजों के मायने
इस बीच, चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के ताजा नतीजे इस बात को बताते हैं कि पंजाब में इस बार चुनावी मुकाबला बेहद रोमांचक और जोरदार हो सकता है।
नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। बीजेपी दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही है। हालांकि कांग्रेस को सबसे ज़्यादा 29.79% वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी को 29.30% और आम आदमी पार्टी को 27.08% वोट मिले हैं। देखना होगा कि क्या चंडीगढ़ नगर निगम के नतीजों का कोई असर पंजाब के विधानसभा चुनाव पर भी होगा?
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