केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले कई महीनों से उबल रहे हरियाणा और पंजाब के किसान लगतार दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। पंजाब से सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रालियों में किसान दिल्ली आ रहे हैं लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है, जिस वजह से किसान संगठनों और पुलिस के बीच कई जगहों पर टकराव हो रहा है।
अंबाला-पटियाला बॉर्डर सहित पंजाब-हरियाणा के कई बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने किसानों पर पानी की बौछार की है और आंसू गैस के गोले भी दागे हैं। लेकिन फिर भी किसान लगातार आगे बढ़ रहे हैं और हजारों किसान हरियाणा में प्रवेश कर चुके हैं।
केंद्र से लगातार गुहार लगा रहे इन दोनों राज्यों के किसानों के सब्र का बांध अब टूट गया है। किसानों के इस आंदोलन को ‘दिल्ली चलो’ का नाम दिया गया है। किसानों की एक ही मांग है कि केंद्र सरकार कृषि क़ानूनों को वापस ले ले।
हरियाणा ने सील किए बॉर्डर्स
हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगने वाले अपने बॉर्डर्स को सील कर दिया है, जिससे किसान दिल्ली नहीं पहुंच सकें। सरकार ने कहा है कि 26-27 नवंबर को ये बॉर्डर सील रहेंगे। इसी तरह दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर भी पुलिस की जबरदस्त तैनाती कर दी गई है। हरियाणा के अंबाला, भिवानी, करनाल, बहादुरगढ़, झज्जर और सोनीपत में किसान संगठनों ने बड़ी तैयारी की है।
हरियाणा सरकार ने किसानों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए धारा 144 लागू कर दी है। भाकियू के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजोवाल ने कहा है कि अगर उन्हें दिल्ली नहीं जाने दिया गया तो वे हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के रास्तों पर जाम लगा देंगे और धरने पर बैठ जाएंगे। हरियाणा से चंडीगढ़ जाने वाली बसों को भी रोक दिया गया है। किसानों ने कहा है कि यह प्रदर्शन एतिहासिक होगा और वे अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। ऐसे में हरियाणा सरकार से किसानों का टकराव हो भी रहा है और इसके बढ़ने के आसार हैं।
हरियाणा के किसानों ने कहा है कि वे पंजाब के किसानों को बॉर्डर से इस ओर आने में मदद करेंगे। किसानों ने दिल्ली कूच के लिए राशन और ज़रूरी चीजों का इंतजाम भी कर लिया है।
अखिल भारतीय किसान महासभा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष प्रेम सिंह गहलोत ने कहा है कि राज्य की पुलिस ने कई किसान नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया है लेकिन बावजूद इसके बावजूद वे पंजाब के किसानों के साथ खड़े हैं।
3 लाख किसान!
अकेले पंजाब से 3 लाख किसानों के दिल्ली कूच करने की बात कही जा रही है। पंजाब में यह आंदोलन ज़्यादा उग्र है। राज्य के 33 किसान संगठन एकजुट हैं। किसानों और केंद्र सरकार के बीच दूसरे दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होनी है।
ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ, भारतीय किसान यूनियन सहित कई संगठनों ने इस 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया है।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव भी किसानों के इस आंदोलन में पिछले कई महीनों से सड़क पर हैं। यादव ने कहा है कि किसान पूरी तरह एकजुट हैं और इन दोनों राज्यों के अलावा भी अन्य राज्यों से किसान दिल्ली आ रहे हैं।
पंजाब में बदतर हालात
किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब में लगभग दो महीने तक रेलगाड़ी व मालगाड़ियां नहीं जा सकीं। इस वजह से रेलवे को तो राजस्व का नुक़सान हुआ ही, पंजाब के लोगों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राज्य सरकार के ट्रेनों को पूरी तरह सुरक्षा का भरोसा देने के बाद भी केंद्र सरकार हठ पर बैठी रही।
कोयला न पहुंचने के कारण राज्य में घंटों तक पावर कट लगे और अनाज, सब्जियां व अन्य ज़रूरी चीजें नहीं पहुंच सकीं।
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