अपनी विभिन्न मांगों के लिए आंदोलन कर रहे पंजाब के किसान अब भी पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर मौजूद हैं। मंगलवार को उनके आंदोलन का 15 दिन पूरा हो गया है। फिलहाल उन्होंने दिल्ली मार्च को 29 फरवरी तक के लिए टाल दिया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आंदोलन को दिशा देने और अब आगे क्या करना है इस पर विचार-विमर्श करने के लिए मंगलवार को किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की बैठकें हो सकती है। इन बैठकों में दिल्ली मार्च पर विचार-विमर्श हो सकता है।
माना जा रहा है कि दिल्ली मार्च पर अब 28 फरवरी को अंतिम फैसला किसान संगठनों की ओर से लिया जायेगा। इस बीच किसान नेता और किसान मजदूर मोर्चा के सरवण सिंह पंधेर ने कहा है कि केंद्र और किसानों के बीच हुई वार्ता ठेका आधारित खेती के प्रस्ताव से टूटी है। उन्होंने कहा कि हम एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून मांग रहे हैं।
इन कारणों से वार्ता टूटी है। हमारे किसान आंदोलन को पूरे देश से समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार आदिवासियों ने नाच गा कर और पैदल चल कर हमें समर्थन दिया है। इससे पहले सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों के समर्थन में देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रैक्टर मार्च निकाला है।
आंदोलनरत किसानों ने विश्व व्यापार संगठन का पुतला भी फूंका है। जगह-जगह विभिन्न माध्यमों से विश्व व्यापार संगठन की नीतियों के बारे में किसानों को बताया जा रहा है। दूसरी तरफ हरियाणा में कई दिनों तक ब्लॉक रहने वाली सड़के अब खुलनी शुरु चुकी हैं।
हरियाणा और दिल्ली बॉर्डर सिंधु और टिकरी को भी दिल्ली पुलिस ने अस्थाई तौर पर अभी खोल दिया है। दिल्ली से चंडीगढ़ जाने के लिए कुरुक्षेत्र में जम्मू-दिल्ली एनएच की सर्विस लेन को हरियाणा पुलिस ने खोल दिया है। यहां पर किसानों के मार्च को रोकने के लिए सीमेंट की बैरिकेडिंग की गई थी।
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