पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता पर आम आदमी पार्टी के अब तक सामने आए स्टैंड से अलग बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। इसका किसी भी समुदाय के सामाजिक रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ करने का कोई इरादा नहीं है। हम सिर्फ देश को नंबर 1 बनाना चाहते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने भारत की तुलना एक गुलदस्ते से करते हुए कहा कि "क्या गुलदस्ते में केवल एक ही रंग होना चाहिए?" मुझे नहीं पता कि वे इन रीति-रिवाजों के साथ छेड़छाड़ क्यों कर रहे हैं? पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भाजपा पर चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे को उठाने का आरोप लगाया है।
आप का यूसीसी पर वास्तविक रुख क्या है
राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माने जा रहे इस मुद्दे पर उनकी टिप्पणी पार्टी के सहयोगियों की टिप्पणी से काफी अलग है। ऐसे में विपक्षी दलों की तरफ से यह सवाल उठने लगा है कि आम आदमी पार्टी का समान नागरिक संहिता पर वास्तविक रुख क्या है। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि सीएम मान के इस बयान से पहले आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संदीप पाठक मीडिया को दिए अपने बयान में कहा था कि आप "सैद्धांतिक रूप से" समान नागरिक संहिता का समर्थन करती है। उनके इस बयान के बाद माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी समान नागरिक संहिता के समर्थन में है। अब भगवंत मान के ताजा बयान के बाद अकाली दल के नेता दलजीत एस चीमा ने आम आदमी पार्टी से समान नागरिक संहिता पर अपना स्टैंड क्लियर करने के लिए कहा है। आप संयोजक को यूसीसी पर बयान देना चाहिए
दलजीत एस चीमा ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि सीएम भगवंत मान यह सब कहकर पंजाबियों को बेवकूफ बना रहे हैं कि उनकी पार्टी पंजाब में यूसीसी के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को यूसीसी के मुद्दे पर बयान देना चाहिए। पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि समान नागरिक संहिता को आप के 'सैद्धांतिक' समर्थन वाले बयान के बाद अकाली दल को पंजाब में एक राजनीतिक अवसर की संभावना दिख रही है। पंजाब की जनसंख्या में सिखों की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत है। पिछले साल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने समान नागरिक संहिता के खिलाफ एक बयान जारी किया था और कहा था कि यह देश के हित में नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि समान नागरिक संहिता का अगर आम आदमी पार्टी समर्थन करती है तो उसे पंजाब में बड़े राजनैतिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। वहीं उसके साथ संकट यह भी है कि अगर वह इसका विरोध करती है तो उसे दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में नुकसान हो सकता है। इस तरह से आम आदमी पार्टी को समान नागरिक संहिता पर अपना रूख साफ करने में मुश्किल आ रही है।
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