दिल्ली के बाद पंजाब फतेह करने के सपने देख रही आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचे। यहां केजरीवाल ने तीन बड़े एलान किए। सबसे पहला और बड़ा एलान कि पंजाब में अगर आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाती है तो राज्य के हर परिवार को 300 यूनिट तक ‘मुफ़्त बिजली’ मिलेगी।
दूसरा और तीसरा एलान भी बिजली से जुड़ा है। दूसरे एलान में केजरीवाल ने कहा है कि पुराने बकाया बिलों को माफ़ कर दिया जाएगा और जिनके कनेक्शन काट दिए गए हैं, उन्हें बहाल किया जाएगा और तीसरा एलान यह कि 24 घंटे बिजली दी जाएगी।
केजरीवाल ने आसान भाषा में समझाया कि पंजाब में लोगों के घर 24 घंटे बिजली आएगी और 300 यूनिट तक बिजली के इस्तेमाल पर बिल भी नहीं आएगा।
ये ‘मुफ़्त बिजली’ दांव पंजाब में कितना काम करेगा, इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हमें थोड़ा सा पीछे चलना पड़ेगा।
अन्ना आंदोलन के बाद जब केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी कायम की और दिल्ली के चुनाव में उतरने का एलान किया तो केजरीवाल ने ‘बिजली हाफ़, पानी माफ़’ का नारा दिया था।
2013, दिसंबर में हुए चुनाव से पहले ही केजरीवाल ने बिजली कंपनियों और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। केजरीवाल ने लोगों से कहा था कि वे बिजली और पानी के बिल भरना बंद कर दें। उन दिनों केजरीवाल बिल जमा न करने की वजह से काटे गए बिजली के कनेक्शन को जोड़ने के लिए खंभे पर चढ़ जाते थे और उनके इस काम ने उन्हें लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया था।
आक्रामक रहे हैं केजरीवाल
‘मुफ़्त बिजली’ को लेकर केजरीवाल बेहद आक्रामक रहे हैं। दिल्ली में पहली बार सरकार बनाने के बाद उन्होंने अपने ‘बिजली हाफ़, पानी माफ़’ के नारे को लागू किया और इसमें जो भी बिजली कंपनियां आड़े आईं केजरीवाल उनसे भिड़ गए। केजरीवाल ने बिजली कंपनियों को इसके लिए मज़बूर कर दिया कि वे दिल्ली वालों को 200 यूनिट तक मुफ़्त बिजली दें।
केजरीवाल ने लड़-भिड़कर ‘बिजली हाफ़, पानी माफ़’ के इस वायदे को लागू करके दिखाया और लोग तब हैरान रह गए जब उनके वहां बिजली के बिल शून्य आने लगे। ये शून्य बिल सोशल मीडिया के जरिये देश भर में चर्चा का विषय बन गए।
‘मुफ़्त बिजली’ को बनाया ब्रह्मस्त्र
ख़ैर, इस बार जब केजरीवाल ने ठान लिया है कि पंजाब में सरकार बनानी है और ‘मुफ़्त बिजली’ को उन्होंने अपना ब्रह्मस्त्र बना लिया है तो यह सवाल ज़रूर उठता है कि जब दिल्ली के लोग लगातार दो बार आम आदमी पार्टी को उसके वायदों को पूरा करने के लिए बड़ी जीत दिला सकते हैं तो पंजाब में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। दिल्ली में आम आदमी पार्टी तीन बार सरकार बना चुकी है लेकिन पहली बार में यह सरकार कांग्रेस के साथ गठबंधन करके बनी थी।
मुख्यमंत्री ने लोगों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा कि पंजाब में बिजली ज्यादा बनती है और खपत कम है, बावजूद इसके लोगों को लंबे-लंबे पावर कट झेलने पड़ते हैं।
आप संयोजक ने कहा, “ये केजरीवाल की गारंटी है, कैप्टन के वादे नहीं हैं। जैसे ही सरकार बनेगी, पहली कलम से पंजाब के अंदर 300 यूनिट बिजली मुफ़्त करने और बकाया बिल माफ़ करने के वादे को लागू कर देंगे लेकिन 24 घंटे बिजली देने में थोड़ा वक़्त लगेगा।”
‘सिख सीएम’ वाला दांव भी चला
पिछले हफ़्ते भी केजरीवाल दिल्ली पहुंचे थे और उन्होंने एलान किया था कि सूबे में उनकी पार्टी की सरकार आती है तो मुख्यमंत्री सिख समुदाय से होगा।
किसानों का खुलकर साथ दिया
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के लिए भी केजरीवाल कई बार सिंघु बॉर्डर पहुंचे, दिल्ली सरकार की ओर से किए इंतजामों की समीक्षा की और किसानों के समर्थन में एक दिन के अनशन पर भी रहे। इस दौरान किसानों को खालिस्तानी बताने पर भी केजरीवाल बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से भी उलझे।
2017 में पंजाब में पहले विधानसभा चुनाव में ही मुख्य विपक्षी दल बनने वाली आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस में चल रहे झगड़ों, अकाली दल के पिछले चुनाव में ख़राब प्रदर्शन और बीजेपी से अलग होने के बाद उसके पास यह बड़ा मौक़ा है जब वह अपने सपने को साकार कर सकती है।
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