पंजाब का राजनीतिक गणित बहुत तेजी से बदलने जा रहा है और एक नई क्षेत्रीय पार्टी का गठन जल्द ही होने वाला है।
इस पार्टी का नाम अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है, लेकिन समझा जाता है कि इसका नाम होगा 'पंजाब विकास पार्टी'।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिेंदर सिंह इस पार्टी की नींव डालेंगे।
'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक़, इस पार्टी में पंजाब की राजनीति में मौजूद धर्मनिरपेक्ष लोगों को शामिल किया जाएगा।
कैप्टन अपने समर्थकों से बात कर रहे हैं और जल्द ही इसकी विधिवत घोषणा कर दी जाएगी।
पहले कहा जा रहा था कि अमरिंदर सिंह 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। इसे टाल दिया गया है। अब पहले इस पर उच्च स्तरीय बैठक होगी और उसके बाद अहम एलान किया जाएगा।
अमरिेंदर सिंह के पार्टी बनाने का कयास उस समय से ही लगाया जा रहा है जब उन्होंने कहा था कि वे बीजेपी में शामिल नहीं होंगे, पर कांग्रेस छोड़ रहे हैं। लोगों का कहना था कि इसका मतलब यह है कि वे एक नए क्षेत्रीय दल का गठन करेंगे।
निशाने पर सिद्धू
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्रीय दल का मुख्य फोकस पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और कैप्टन के राजनीतिक विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को हर हाल में रोकना होगा।
कैप्टन के एक विश्वस्त ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "हमारी राजनीति सत्ता के लिए नहीं होगी, इसका मक़सद सिद्धू को मुख्यमंत्री बनने से रोकना होगा।"
उन्होंने चुनावी रणनीति में इस नई पार्टी के हस्तक्षेप को रेखांकित करते हुए कहा,
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ऐसे में जब पंजाब में अकाली दल और आम आदमी पार्टी की वजह से तीन- चार कोने का संघर्ष होगा, यदि हमारे उम्मीदवार तीन-चार हज़ार वोट भी पाएंगे तो वह कांग्रेस उम्मीदवार का खेल खराब करने के लिए काफी होगा।
अमरिंदर सिेंह के एक सहयोगी
रावत का निजी हमला
इसके पहले ही कांग्रेस और अमरिंदर सिंह बिल्कुल आमने सामने आ गए और दोनों ने एक दूसरे पर तीखे हमले किए थे। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने शुक्रवार को देहरादून में पत्रकारों से कहा कि
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1998 में पटियाला से बुरी तरह हारने के बावजूद कांग्रेस ने अमरिेंदर सिंह को न सिर्फ पार्टी में जगह दी, बल्कि उन्हें तीन बार प्रदेश कांग्रेस प्रमुख और दो बार मुख्यमंत्री बनाया और उन्हें काम करने की पूरी छूट दी।
हरीश रावत, प्रभारी, पंजाब कांग्रेस
रावत ने कहा कि पंजाब कांग्रेस के 43 विधायकों ने उन्हें चिट्ठी लिख कर कहा था कि 'मुख्यमंत्री उनकी बात नहीं सुनते और वे विधायक दल की बैठक चाहते हैं। मैंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा कि यद अब देर की गई तो ये विधायक अलग गुट बना लेंगे और पार्टी को नुक़सान होगा। इसलिए विधायक दल की बैठक बुलाई गई।'
याद दिला दें कि इसके पहले कैप्टन ने कहा था कि हरीश रावत ने सिर्फ उन्हें पद से हटाने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई थी और इस बैठक के कुछ घंटे पहले उन्हें इस्तीफ़ा देने को कहा था। यह उनका अपमान है।
अमरिंदर-रावत
कैप्टन ने पलटवार करते हुए कहा था कि हरीश रावत ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 अमरिंदर सिंह की अगुआई में ही लड़ा जाएगा और उन्हें पद से हटाने की कोई संभावना नहीं है।
अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा था कि खुद उन्होंने सोनिया गांधी से मिल कर मुख्यमंत्री पद से हटने की पेशकश की थी, जिसे कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष ने खारिज कर दिया और उन्हें पद पर बने रहने को कहा।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि नई पार्टी बनाने से अमरिंदर सिंह को कितना फ़ायदा होगा और वे सिद्धू या कांग्रेस पार्टी को कितना नुक़सान पहुँचाएगे, इस पर गंभीर सवाल हैं।
लगभग 80 साल के कैप्टन की उम्र उनके साथ नहीं है, उनके पास नई पार्टी शुरू करने के वित्तीय व राजनीतिक संसाधन नहीं हैं और पंजाब विधानभा चुनाव 2022 में अब कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में उनकी पार्टी कितना राजनीतिक असर छोड़ेगी, इस पर सवाल उठना लाज़िमी है।
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