मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में किसानों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है। सभी जानते हैं कि इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन पंजाब में ही शुरू हुआ और सिंघु, टिकरी बॉर्डर पर जमा किसानों में अधिकतर पंजाब से हैं। किसान आंदोलन का असर भी सबसे ज़्यादा पंजाब में ही है।
कृषि क़ानूनों से नाराज़ किसानों ने अंबानी के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का एलान किया हुआ है और इससे मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस खासी परेशान है। इसके तहत जियो के नंबर को दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में पोर्ट कराया जा रहा है। पंजाब में रिलायंस के पेट्रोल पंप और रिटेल आउटलेट्स के बाहर लंबे वक्त से धरना दिया जा रहा है और अब किसान जियो के टावर्स की बिजली काट रहे हैं। इस वजह से राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और लोगों को खासी परेशानी हो रही है।
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, आंदोलित किसान संगठनों ने अब तक पंजाब में जियो के 1300 टावर्स को होने वाली बिजली की सप्लाई को रोक दिया है। पंजाब में जियो के 9 हज़ार टॉवर हैं।
बीते कुछ दिनों में किसानों ने नवांशहर, फ़िरोज़पुर, मानसा, बरनाला, फ़ाज़िल्का, पटियाला और मोगा जिलों में लगे जियो के टावर्स को होने वाली बिजली की सप्लाई काट दी है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से अनुशासन दिखाने की अपील की थी। अमरिंदर सिंह ने कहा था, ‘इससे न केवल पढ़ाई पर गंभीर असर हो रहा है बल्कि ऐसे छात्रों का भी भविष्य ख़राब हो रहा है जो ऑनलाइन पढ़ाई पर निर्भर हैं। जो लोग घर से काम कर रहे हैं, उनके निजी जीवन में भी मुश्किलें आ रही हैं।’
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उन्होंने कहा था कि टेलीकॉम सेवाओं को रोकने से पहले से ही गड़बड़ा चुकी राज्य की माली हालत पर भी गंभीर असर पड़ेगा। अमरिंदर से टॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ने इस मामले में दख़ल देने की अपील की थी।
लेकिन अमरिंदर की अपील का किसानों पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने 24 घंटे में ही 150 से ज़्यादा टावर्स को होने वाली बिजली की सप्लाई काट दी। इसके अलावा कुछ जगहों पर टावर के लिए बने बुनियादी ढांचे को भी नुक़सान पहुंचाने की ख़बरें आई हैं।
मानसा जिले के मूसा गांव से ख़बर है कि जियो के टावर से जुड़े एक पोल को गिरा दिया और केबल बॉक्स को जला दिया।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
‘शांतिपूर्ण रखें प्रदर्शन’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ. धर्मपाल ने कहा कि वे पंजाब और हरियाणा में सभी से अपील करते हैं कि उनका फ़ोकस सिर्फ़ बहिष्कार पर होना चाहिए किसी और चीज पर नहीं। ऑल इंडिया किसान संघर्ष समिति के सदस्य जगमोहन सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और 32 किसान संगठन दो बार अपील जारी कर चुके हैं कि इस तरह के काम न किए जाएं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा है और इसे आगे भी शांतिपूर्ण रखा जाना चाहिए।
किसानों का कहना है कि वे जियो के टावर्स की बिजली की सप्लाई को तब तक चालू नहीं होने देंगे जब तक ये तीनों कृषि क़ानून रद्द नहीं हो जाते। पंजाब में मोबाइल रिचार्ज की दुकानों के बाहर ऐसे पोस्टर लगे हैं जिनमें लिखा है कि यहां जियो कंपनी के सिम और रिचार्ज नहीं मिलते।
रिलायंस ने की थी शिकायत
जियो के नंबर्स के धड़ाधड़ पोर्ट होने के बाद रिलायंस ने अपने कारोबारी प्रतिद्वंद्वियों वोडाफ़ोन-आइडिया (वीआई) और भारतीय एयरटेल के ख़िलाफ़ टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (ट्राई) में शिकायत की थी।
रिलायंस ने इनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। रिलायंस ने कहा था कि ये कंपनियां ओछी हरक़त कर रही हैं और उसके ख़िलाफ़ अफ़वाह फैला रही हैं कि उसे नए कृषि क़ानूनों से फ़ायदा होगा। अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की अपील के बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग #BoycottJioSIM चला था और इसमें कहा गया था कि अगर आप किसानों के समर्थक हैं तो अडानी-अंबानी के किसी भी प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करें।
फ्री किए थे टोल प्लाज़ा
हरियाणा के कई हाईवे पर किसानों ने 25 से 27 दिसंबर तक सारे टोल को फ्री कर दिया था। दूसरी ओर, दिल्ली के टिकरी-सिंघु के साथ ही ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी किसानों का धरना जारी है। कड़ाके की ठंड में भी इस आंदोलन में बड़ी संख्या में किसान जुड़ते जा रहे हैं। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में किसान जमा हैं।
सरकार को झटके पर झटका
मोदी सरकार किसानों के आंदोलन से तो हलकान है ही, उसके सहयोगी भी उसका साथ छोड़ते जा रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भी एनडीए से अपनी राहें अलग कर ली हैं। बेनीवाल इन दिनों किसानों के समर्थन में शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। उधर, कृषि क़ानूनों के मसले पर तमाम विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर ख़ासा दबाव बढ़ा दिया है। किसानों की भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद तक के कार्यक्रम को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है।
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