अचानक ही ऐसा क्या हुआ कि अरविंद केजरीवाल देश की सभी पार्टियों के नेताओं से गलबहियां करने लगे। उन नेताओं से खुले दिल से मिलने लगे जिन्हें वह पानी पी-पीकर कोसते थे। वह कांग्रेस जिसे सबसे भ्रष्ट बताते थे और शीला दीक्षित जैसी नेताओं को जेल भेजने की धमकी देते थे, अब उस पार्टी पर भी केजरीवाल का प्यार उमड़ आया है। इसी क्रम में वह बिहार के उप मुख्य मंत्री तेजस्वी यादव की भी तारीफ करने लगे जिनके पिता लालू यादव को महा भ्रष्टाचारी बताने में वह कोई कसर नहीं छोड़ते थे। वहां के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार जो बीजेपी से अलग होने के बाद अब अपने को भारत के प्रधान मंत्री पद का दावेदार मानने लगे हैं, उनसे भी वह दिल खोलकर मिले। केजरीवाल ने सभी की बुराई माफ कर दी, सारे गिले-शिकवे दूर कर दिये और राजनीति का एक नया अध्याय लिखने बैठ गये हैं। 


दो राज्यों में आम आदमी पार्टी का शासन होने और पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल एक नये धरातल पर दिखते हैं। वह न केवल अपने को भारत के प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानने लगे हैं बल्कि उसके लिए प्रयासरत भी हैं। वह सभी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं और अपने को सर्वोत्तम विपक्षी उम्मीदवार जाहिर करने लगे हैं।