अमेरिका से लौट चुका हूँ। करीब एक महीने के प्रवास के बाद। लेकिन, अब भी अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव की गहमागहमी भूत की तरह पीछे पड़ी हुई है; करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों से रोज़ फोन मिलते रहते हैं और मैं भी खटखटाता रहता हूं; कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प के पैंतरों की ख़बरें मिलती रहती हैं; दोनों के प्रति वहां की ज़मीनी धड़कनों का पता चलता रहता है। ट्रम्प पर तीसरी बार संभावित हमलावर की गिरफ्तारी और तुरंत ज़मानत पर उसे छोड़ने की ख़बर कल रात को ही मिल गयी थी। वहां के लोग इस घटना को बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। लोगों को इस घटना, में नाटकीय तत्व अधिक लग रहा है। वज़ह है, दूसरी घटना से संबंधित गिरफ्तार व्यक्ति का मामला भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है। हथियारों से लैस ताज़ा आशंकित हमलावर भी विचित्र है। वह स्वयं को पत्रकार भी बता रहा है और ऐसे व्यक्ति को ज़मानत पर छोड़  देने की बात भी कई सवालों को जन्म दे रही है; वहां के लोगों को हैरत है कि क्या ऐसे किसी व्यक्ति को आसानी से ज़मानत मिलनी चाहिए; क्या यह किसी बड़ी योजना का हिस्सा तो नहीं है? ट्रम्प की लोकप्रियता में वांछित उछाल नहीं आ रहा है। स्थानीय लोगों को इसमें अदृश्य नाटकीय तत्वों का मिश्रण अधिक प्रतीत हो रहा है।