“अमेरिकियों ने लोकतंत्र के शिष्टाचार का ही स्वाद चखा है जो कि वास्तविक लोकतंत्र से बिलकुल भिन्न है। मतदाताओं ने धन-सम्पति में गहरी विषमताओं को स्वीकार कर लिया है, और इस अपेक्षा के साथ कि उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि उनसे भिन्न नहीं निकलेंगे।” नैंसी इसन्बर्ग (वाइट ट्रैश, पृ.16 )
ट्रम्प की लोकप्रियता के वाहक: श्वेत कचरा, मिट्टी खोर, ज़ाहिल…!
- दुनिया
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- रामशरण जोशी
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- 9 Oct, 2024

रामशरण जोशी
ट्रंप की लोकप्रियता आख़िर किन लोगों में है? क्या आपको पता है कि श्वेत कचरा, नमूना कचरा, मिट्टी खोर, आलसी, ज़ाहिल, फालतू लोग, पहाड़ी भोंदू जैसे उपनाम अमेरिका में धड़ल्ले से इस्तेमाल होते हैं और ज़्यादातर ऐसे लोग किनके समर्थक हैं?
विश्व के सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक और विकसित देश होने का दंभ भरनेवाले अमेरिका में ऐसे भी मतदाता हैं जिन्हें आज भी ‘श्वेत कचरा, नमूना कचरा, मिट्टी खोर, आलसी, ज़ाहिल, लाल गर्दन, पीली चमड़ी, फालतू लोग, पहाड़ी भोंदू, पटाखा, कीचड़ घूरा, बक़वास, रेत छुपैया, पहाड़ी‘ जैसे विकृत उपनामों से सम्बोधित किया जाता है! क्या आपको हैरत नहीं है?
ज़ी हां, यह अमेरिकी या यांकी समाज की ऐसी कुरूप सच्चाई है, जिसे बड़े जतन के साथ ढक कर रखा जाता है। लेकिन, मतदाता- बाज़ार में इन उपनामों का शोर भी सोशल मीडिया और आपसी चर्चाओं में सुनाई देने लगता है। जब से रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प की पंचम स्वर में चुनावी सभाएं होने लगी हैं, तब से इन अपमानजनक सम्बोधनों की चलन रफ़्तार भी बढ़ गई है। टीवी स्क्रीन पर सभाओं को देखते ही सामान्य दर्शक बताने लगते हैं, ‘जोशी जी, देखिये भीड़ में बैठे वे वाइट ट्रैश (श्वेत कचरा) हैं और ट्रम्प के कट्टर समर्थक भी हैं। ‘अमेरिकी समाज में मनुष्यों या मतदाताओं के ऐसे भी सम्बोधन प्रचलित हैं? मैं हैरान हूँ!