क्या कोई एंकर अपनी मर्जी से निष्पक्षता तोड़ते रहने का क्रम चला सकता है?

  • क्या एंकर किसी को म्यूट (आवाज़ दबाना) और किसी को अनम्यूट (आवाज़ खोलना) स्वयं कर सकता है? 
  • एक गैर पत्रकार ही इसका उत्तर ‘हां’ में दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों पर तटस्थ नहीं रहने, किसी के पक्ष में या किसी के विरोध में हो जाने के लिए एंकर को ज़िम्मेदार ठहराने वाली टिप्पणी कर वास्तव में बड़ी सच्चाई की पर्देदारी की है। सर्वोच्च न्यायालय के सम्मान में यह कहने की आवश्यकता है कि ऐसा अनजाने में हुआ है।

    ओहदेदार हैं एंकर के नफ़रती होने के जिम्मेदार

    एक एंकर किसी खास बुलेटिन में अपनी निष्पक्षता एक बार तो तोड़ सकता है। लेकिन, बुलेटिन खत्म होते-होते उसकी नौकरी चली जा सकती है। नौकरी लेने वाले ‘ओहदेदार’ जब तक एंकर की निष्पक्षता तोड़ने का साथ नहीं देगा, उसकी हौसलाअफजाई नहीं करेगा, उसे बेहतर करियर का आकर्षण नहीं दिखाएगा… तब तक एंकर स्वयं निष्पक्षता तोड़ने को निरंतरता क़तई नहीं दे सकता।
    डिबेट के दौरान किसी की आवाज़ दबाना या आवाज़ बढ़ाना टीवी चैनलों में पैनल कंट्रोल रूम यानी पीसीआर का काम होता है। यहां तकनीकी स्टाफ होते हैं जो संपादकीय देखरेख में अपना काम कर रहे होते हैं।