राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने पटेल की चिता के पास कहा – “सरदार के शरीर को अग्नि जला तो रही है, लेकिन उनकी प्रसिद्धि को दुनिया की कोई अग्नि नहीं जला सकती”। सरदार वल्लभ भाई पटेल के अंतिम संस्कार के वक्त राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू और सी राजगोपालाचारी नम आंखों के साथ खड़े थे। राजगोपालाचारी और राजेन्द्र प्रसाद ने चिता के पास भाषण भी दिए।
इतिहास में क्या सरदार पटेल की भूमिका को नज़रअंदाज़ किया गया?
- विचार
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- 18 Dec, 2021

पांच सौ ज़्यादा रजवाड़ों को एक साथ लाकर आज़ाद भारत को बनाने और एकजुट करने का जो काम पटेल ने किया, ऐसा शायद ही कई दूसरा उदाहरण मिले। हैदराबाद के भारत में विलय को लेकर पटेल की भूमिका को किसी भी हाल में नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री नेहरु के ना चाहने के बावजूद राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, पटेल के निधन की खबर सुन कर बंबई पहुंच गए थे। के एम मुंशी ने अपनी किताब ‘पिलग्रिमेज’ में लिखा है कि नेहरु मानते थे कि राष्ट्रपति को किसी मंत्री के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होना चाहिए। इससे एक गलत परपंरा की शुरुआत होगी। उस दिन दोपहर बाद राजाजी और नेहरु दिल्ली से बंबई पहुंच गए थे।
15 दिसम्बर 1950 को तड़के तीन बजे पटेल को दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश हो गए। काफी देर बाद उन्हें जब होश आया तो बेटी मणिबेन ने उन्हें गंगाजल में शहद डाल कर पिलाया। सवेरे 9 बज कर 37 मिनट पर पटेल ने आखिरी सांस ली।