सरकार और भाजपाई 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मना रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब 15 अगस्त के लड्डुओं की मिठास को कम करना है। विभाजन की विभीषका को महसूस करने का वास्तविक अर्थ है धर्म को राजनीति या राष्ट्र का वाहक समझने के ख़तरनाक़ परिणामों के प्रति सचेत होना।
क्या भारत का विभाजन टाला जा सकता था? अंत-अंत तक जिन्ना की इच्छा यही थी कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक महासंघ का हिस्सा बनकर रहते। लेकिन नेहरू-पटेल जैसे कांग्रेसी नेता इस पर क्यों तैयार नहीं थे?
आम्बेडकर ने क्यों लिखा था कि मुझे लगता है कि हमें कश्मीर के बजाय पूर्वी बंगाल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, जिसके बारे में हमें अख़बारों से पता चल रहा है कि वहाँ हमारे लोग बहुत ख़राब परिस्थितियों में रहे हैं?