1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने, ख़ासकर लेबर पार्टी की नई सरकार ने भारत को औपनिवेशिक स्वराज देने के अपने वादे पर अमल करना शुरू किया। साल 1946 में कैबिनेट मिशन नामक एक दल भारत आया और स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा के गठन की कार्रवाई शुरू की गई। कैबिनेट मिशन ने कल के भारत का एक राजनीतिक-प्रशासनिक ढाँचा भी प्रस्तावित किया जिसके अनुसार भारत के अंदर ही धर्म के आधार पर उत्तर-पश्चिम, पूर्व और मध्य-दक्षिण प्रांतों को मिलाकर तीन आंचलिक समूह बनने थे लेकिन इसके साथ ही किसी भी प्रांत को किसी भी समूह के साथ जाने या न जाने की अनुमति मिलनी थी।