पिछले साल दलाई लामा ने यह कहा कि यदि नेहरू जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनाने का गाँधीजी का प्रस्ताव मान लेते तो भारत का विभाजन नहीं होता। इस बात को और भी कई नेता इससे पहले और बाद में भी कई बार दोहरा चुके हैं। ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि क्या गाँधीजी ने कभी ऐसा प्रस्ताव रखा था। अगर हाँ तो उस प्रस्ताव पर जिन्ना की क्या प्रतिक्रिया थी और नेहरू का उस सारे मामले में क्या रोल था। इस जानकारी के आधार पर ही हम तय कर पाएँगे कि क्या जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने से भारत का बँटवारा टल सकता था। आइए, आज भारत विभाजन सीरीज़ की इस अंतिम कड़ी में हम इसी की जाँच करें।
विभाजन विभीषिका : जिन्ना बन जाते प्रधानमंत्री तो टल जाता बँटवारा?
- विचार
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- 19 Aug, 2019

भारत-पाक बँटवारे के लिए कौन ज़िम्मेदार था? हम स्वतंत्रता के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। इस मौके पर सत्य हिन्दी की ख़ास पेशकश।
राजनीतिक और दूसरे मंचों पर यह कहा जाता रहा है कि यदि नेहरू ने जिन्ना को देश का प्रधानमंत्री बनाने का गाँधीजी का प्रस्ताव मान लिया होता तो देश का बँटवारा नहीं होता। क्या गाँधीजी ने वाक़ई ऐसा प्रस्ताव दिया था... और यदि दिया था तो नेहरू और जिन्ना की उसपर क्या प्रतिक्रिया थी।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश