पिछले साल दलाई लामा ने यह कहा कि यदि नेहरू जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनाने का गाँधीजी का प्रस्ताव मान लेते तो भारत का विभाजन नहीं होता। इस बात को और भी कई नेता इससे पहले और बाद में भी कई बार दोहरा चुके हैं। ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि क्या गाँधीजी ने कभी ऐसा प्रस्ताव रखा था। अगर हाँ तो उस प्रस्ताव पर जिन्ना की क्या प्रतिक्रिया थी और नेहरू का उस सारे मामले में क्या रोल था। इस जानकारी के आधार पर ही हम तय कर पाएँगे कि क्या जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने से भारत का बँटवारा टल सकता था। आइए, आज भारत विभाजन सीरीज़ की इस अंतिम कड़ी में हम इसी की जाँच करें