कुछ ही दिनों में गाँधीजी की 150वीं जयंती आने वाली है और प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी बड़े नेता बड़े-बड़े आयोजनों में उनको याद करेंगे। वे दावा करेंगे कि वे गाँधीजी के ही बताए मार्ग पर चल रहे हैं और उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं। यह बात स्वच्छता अभियान और ग़रीबों को लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों जैसे इक्का-दुक्का मामलों में सही भी हो सकती है लेकिन कुछ बड़े मामलों में, जैसे जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्ज़े को समाप्त करने की सरकार की कोशिशों को क्या गाँधीजी का समर्थन मिलता?
अनुच्छेद 370 : गाँधीजी अगर जीवित होते तो क्या कहते और क्या करते?
- विचार
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- 26 Aug, 2019

गाँधीजी राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में अपनाई जाने वाली नीतियों और आदर्शों में पार्थक्य नहीं करते थे - उनके मुताबिक़ जो बात व्यक्तिगत जीवन में सही या ग़लत है, वही राजनीतिक जीवन में भी सही या ग़लत है - इसलिए आज हम उनके द्वारा ‘व्यक्तिगत जीवन में अपनाई गई नीति’ के आधार पर तय करेंगे कि यदि जम्मू-कश्मीर का मसला उनके सामने घटित होता तो वह कैसे रिऐक्ट करते।
पक्के तौर पर यह कहना बहुत मुश्किल है कि गाँधीजी आज जीवित होते तो क्या करते। क्योंकि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्ज़ा देने वाले अनुच्छेद 370 पर उनकी क्या राय होती, यह हमें नहीं मालूम। वह तो उससे बहुत पहले मार दिए गए थे। चूँकि गाँधीजी राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में अपनाई जाने वाली नीतियों और आदर्शों में पार्थक्य नहीं करते थे - उनके मुताबिक़ जो बात व्यक्तिगत जीवन में सही या ग़लत है, वही राजनीतिक जीवन में भी सही या ग़लत है - इसलिए आज हम उनके द्वारा ‘व्यक्तिगत जीवन में अपनाई गई नीति’ के आधार पर तय करेंगे कि यदि जम्मू-कश्मीर का मसला उनके सामने घटित होता तो वह कैसे रिऐक्ट करते।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश