दो दिन पहले जाने-माने पत्रकार आशुतोष को किसी ने फ़ोन पर धमकी दी कि वह यदि उनको कहीं राह चलते मिल गए तो वह उन्हें जान से मार डालेगा। आशुतोष ने कल ‘सत्यहिंदी’ पर इसकी जानकारी दी (देखें वीडियो) और विस्तार से बताया कि ऐसी धमकियों के पीछे कौन लोग हैं, हालाँकि उन्होंने धमकी देने वाले उस व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया। उन्होंने कहा कि वह तो ‘एक मासूम इंसान’ है जो विरोध और आलोचना की आवाज़ को दबानेवाली शक्तियों के हाथ का औज़ार बन गया है। उनके अनुसार ये ताक़तें सरकार या एक ख़ास दल या विचारधारा के ख़िलाफ़ बोलने वाले हर महत्वपूर्ण पब्लिक फ़िगर को गद्दार या पाकिस्तानपरस्त घोषित करके उसके ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल तैयार कर रही हैं और उसी से प्रभावित होकर कुछ लोग आशुतोष या उनके जैसे लोगों को जान से मारने की धमकियाँ दे रहे हैं - बहुत संभव है कि वे उसपर अमल भी करना शुरू कर दें।
आशुतोष! हत्या की धमकी पर वही करें, जो गाँधीजी ने किया था
- विचार
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- 1 Sep, 2019

पत्रकार आशुतोष को किसी ने फ़ोन पर जान से मारने की धमकी दी है। ऐसे में अब आशुतोष को क्या करना चाहिए? क्या महात्मा गाँधी के बताए मार्ग पर चलना चाहिए? महात्मा गाँधी के ख़िलाफ़ जब नफ़रत फैलाई गई थी और दक्षिण अफ़्रीका में भीड़ उनके ख़ून की प्यासी हो गई थी तब उन्होंने क्या किया था? आशुतोष और उनके जैसे सभी पत्रकारों से हम यही उम्मीद करते हैं कि हिंसा की धमकियों के बावजूद वे सच बोलना और झूठ और घृणा की उन शक्तियों से लड़ना जारी रखेंगे जो देशभर में नफ़रत और हिंसा का माहौल पैदा कर रही हैं।
आशुतोष ने इस सिलसिले में गाँधीजी की हत्या और नाथूराम गोडसे का हवाला देते हुए सरदार पटेल की एक चिट्ठी का भी ज़िक्र किया जो उन्होंने गाँधीजी की हत्या के बाद गोलवलकर को लिखी थी। पटेल ने इस चिट्ठी में गोलवलकर को संघ के नेताओं के सांप्रदायिक भाषणों की याद दिलाते हुए कहा था कि गाँधीजी की हत्या ऐसे नफ़रत फैलाने वाले ज़हर की ही परिणति है।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश