आज से एक महीना पहले अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्ज़े और अनुच्छेद 35ए के तहत वहाँ की जनता को मिले विशेषाधिकारों को राज्य के राज्यपाल और संसद की सिफ़ारिशों पर राष्ट्रपति ने ख़त्म कर दिया था। इस एक महीने के भीतर देश-दुनिया में बहुत-कुछ घटा। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते और ख़राब हुए। हालाँकि चीन के अलावा दुनिया के बड़े देशों ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। लेकिन ट्रंप ने एकाधिक बार इस मामले में मध्यस्थता की इच्छा जताई तो ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की निष्पक्ष जाँच की माँग की है। इसके अलावा और देश भी नज़रें जमाए हुए हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में आगे क्या होता है।
अनुच्छेद 370 : कोर्ट के अंतिम सीन में क्लाइमैक्स बदल भी सकता है
- विचार
- |
- |
- 5 Sep, 2019

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के मामले में तीन काम किए। देश का पूरा संविधान राज्य पर लागू किया, प्रदेश का विभाजन किया और अनुच्छेद 370 के दो खंड समाप्त कर दिए। यह काम उसने राज्य विधानसभा की रज़ामंदी से नहीं, बल्कि राज्यपाल और संसद की सहमति/सिफ़ारिश से किया। क्या किसी और के बारे में फ़ैसला करते समय कोई ख़ुद से ही पूछे और ख़ुद ही हाँ कहे तो यह निर्णय क़ानूनी रूप से मान्य हो सकता है? अगले महीने सुप्रीम कोर्ट में यही सवाल उठेगा और वहाँ बाज़ी पलट भी सकती है।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश