कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल में एक ट्वीट किया- “साल 2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में नहीं आता था। इसके लिए आपको धन्यवाद, पीएम मोदी”। इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच लिंचिंग को लेकर महायुद्ध शुरू हो गया। बीजेपी के अमित मालवीय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के संदर्भ में पलटवार करते हुए कहा, “राजीव गांधी तो मॉब लिंचिंग के जनक थे, जिन्होंने सिखों के ख़ून से लथपथ जनसंहार को सही ठहराया था। कांग्रेस के कई नेता सड़कों पर उतरे और ‘खून का बदला खून से लेंगे’, जैसे नारे लगाए।”
लिंचिंग के ख़िलाफ़ क़ानून की क्या ज़रूरत है?
- विचार
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- 23 Dec, 2021

देश के अलग-अलग हिस्सों में अक्सर लिंचिंग की घटनाओं की ख़बरें आती रहती हैं, चाहे फिर वो पालघर में साधुओं को मारने का मसला हो या फिर कहीं गौ हत्या या चोरी के मसले पर किसी अल्पसंख्यक की हत्या हो, सरकार उन घटनाओं पर दबाव के बाद तो कार्रवाई करती है लेकिन कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया है।
हाल ही में पंजाब में हुई मॉब लिंचिंग की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद से बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे के सामने खड़े हैं। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। इस बीच झारखंड विधानसभा ने मॉब लिंचिंग पर बिल पास कर दिया। इस तरह झारखंड मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद देश का चौथा राज्य बन गया जहां इस तरह का क़ानून बना है।