आधी रात का वक़्त जब 12 बज रहे थे, देश जाग रहा था। जोश था, उत्साह था। बरसों बरस से जिस सुबह का यह मुल्क़ इंतज़ार कर रहा था, वह सुबह उस रात के बाद आने वाली थी। वह दावा अब बेमानी हो गया था कि अंग्रेज़ों के राज का सूरज कभी डूबने वाला नहीं है।