इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लालक़िले से भाषण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने परिवारवाद और भ्रष्टाचार के अलावा ‘तुष्टीकरण’ पर भी निशाना साधा है। बहुत दिनों से नेपथ्य में पड़े इस शब्द को शिखर से निशाना बनाया जाना बेहद गंभीर मामला है, ख़ासतौर पर जब भारत के मुसलमान इतिहास के सबसे कमज़ोर स्थिति में हैं। उन्हें सार्वजनिक रूप से जलील किया जा रहा है। राष्ट्रवाद के नाम पर उन्हें ‘राष्ट्र से खारिज’ करने का अभियान चलाया जा रहा है। यहाँ तक कि मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार करने वालों की रिहाई सुनिश्चित की जा रही है और रिहा होने के बाद उनका सार्वजनिक अभिनंदन किया जा रहा है।
अल्पसंख्यकों पर हमले के बीच ‘तुष्टीकरण’ का राग!
- विचार
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- 17 Aug, 2023

प्रधानमंत्री मोदी ने लालक़िले से भाषण में ‘तुष्टीकरण’ का आरोप क्यों लगाया? देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति इतनी बदतर होने के बाद भी ऐसा आरोप क्यों?
‘तुष्टीकरण’ से आशय एक ऐसी राजनीतिक शैली से है जिसमें किसी आक्रामक समूह को बेज़ा रियायतें दी जाती हैं। आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी शुरू से कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहे हैं ताकि हिंदू बहुमत के बीच उसे मुस्लिमपरस्त पार्टी साबित किया जा सके। यह अभियान काफ़ी हद तक सफल भी रहा है। लेकिन कांग्रेस या कोई दूसरा विपक्षी दल तो केंद्र की सत्ता में है नहीं! दस साल से तो मोदी ही प्रधानमंत्री हैं। फिर ये तुष्टीकरण कर कौन रहा है? और इसका सामाजिक न्याय पर कैसे बुरा असर पड़ा है जिसका कि दावा पीएम मोदी ने किया है।