कुछ समय पहले केरल के मुख्यमंत्री के किसी चाहने वाले ने सोशल मीडिया पर अपनी भावना व्यक्त की थी कि पिनराई विजयन को देश का प्रधानमंत्री बना दिया जाना चाहिए। सुदूर दक्षिण में एक छोटे से राज्य के 76-वर्षीय मार्क्सवादी मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री बनाने के सुझाव को निश्चित ही ज़्यादा ‘लाइक्स’ नहीं मिलनी थीं। उसे बिना ज़्यादा खोजबीन के एक ‘पैड सुझाव’ केरल से भी मानकर ख़ारिज कर दिया गया। ऐसा तो होना ही था! कहाँ 21 करोड़ का उत्तर प्रदेश, सात करोड़ का गुजरात और कहाँ केवल साढ़े तीन करोड़ की आबादी वाला केरल! राजनीतिक नेतृत्व के भक्ति-भाव वाले जमाने में केरल हमारी कल्पना के सोच से काफ़ी परे है। चर्चा और विज्ञापनों में इन दिनों केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही हैं। पर हो सकता है कि जो कुछ आज विजयन कर रहे हैं, कल पूरे देश को करना पड़े।