टेक्नोलॉजी ने आदमी और लोकतंत्र दोनों को ही ख़त्म कर देने की कोशिशों को आसान कर दिया है। दुनिया के कुछ मुल्कों, जिनमें अमेरिका आदि के साथ भारत भी शामिल हो रहा है, ने स्थापित कर दिया है कि सत्ता में बने रहने के लिए करोड़ों नागरिकों का विश्वास जीतने में ताक़त झोंकने के बजाय कुछ अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों, आई टी सेल्स जैसी व्यवस्थाओं और साइबर विशेषज्ञों में निवेश करना ज़्यादा आसान और फायदेमंद रास्ता है। परम्परागत देसी तरीक़े और अति विश्वसनीय समर्थक भी ऐन मौक़े पर धोखा दे सकते हैं पर ख़रीदे हुए विशेषज्ञ और विदेशी तकनीकें नही। सत्ता की राजनीति में आवश्यकता अब नागरिकों का विश्वास जीतने की नहीं बल्कि उन्हें प्रभावित करके उनके विचारों को बदलने तक सीमित कर दी गई है।
लोकतंत्र की सलीब पर साइबर जासूसी की कील!
- विचार
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- 22 Jul, 2021

हुकूमतें तकनीकी रूप से चाहे जितनी भी सक्षम क्यों न हो जाएँ, नागरिकों के मन के अंदर क्या चल रहा है उसका तो पता नहीं कर सकतीं। हां, वे इतना ज़रूर कर सकती हैं कि अगर लोगों ने बोलना पहले से ही कम कर रखा है तो उसे अब पूरा बंद कर दें। इशारों में भी बातें नहीं करें। क्योंकि आधुनिक तकनीक ने इतनी क्षमता प्राप्त कर ली है कि वह इशारों की भाषा को भी डीकोड कर सकती है।