इस समय सारे अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में हैं। होना भी चाहिए। परिस्थितियाँ ही कुछ ऐसी हैं। कब तक ऐसी चलेंगी यह भी पता नहीं है। देश ‘लॉकडाउन-4’ में प्रवेश कर गया है। जनता का एक बड़ा वर्ग मन बना चुका है कि उसे अब चीजों के सामान्य होने या दिखाई भी देने की जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। लाखों प्रवासी मज़दूर अभी भी बीच रास्तों पर पैदल ही हैं। वे अपने अगले क़दम के लिए किसी का भी मुँह नहीं ताक रहे हैं। दूसरी ओर, अपने हरेक नए क़दम के लिए राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश दिल्ली के दिशा-निर्देशों की तरफ़ ही अपनी नज़रें टिकाए हुए हैं।