इस समय सारे अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में हैं। होना भी चाहिए। परिस्थितियाँ ही कुछ ऐसी हैं। कब तक ऐसी चलेंगी यह भी पता नहीं है। देश ‘लॉकडाउन-4’ में प्रवेश कर गया है। जनता का एक बड़ा वर्ग मन बना चुका है कि उसे अब चीजों के सामान्य होने या दिखाई भी देने की जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। लाखों प्रवासी मज़दूर अभी भी बीच रास्तों पर पैदल ही हैं। वे अपने अगले क़दम के लिए किसी का भी मुँह नहीं ताक रहे हैं। दूसरी ओर, अपने हरेक नए क़दम के लिए राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश दिल्ली के दिशा-निर्देशों की तरफ़ ही अपनी नज़रें टिकाए हुए हैं।
राहुल गाँधी ने तो देश को एक बड़ी शर्म से बचा लिया, निर्मला मैडम!
- विचार
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- 19 May, 2020

प्रधानमंत्री मोदी अगर सार्वजनिक जीवन में अपनी 2014 की आक्रामक चुनावी छवि से सफलतापूर्वक बाहर आकर दुनिया के बड़े नेताओं के बीच जगह बना रहे हैं तो फिर देश की इतनी गम्भीर और योग्य वित्त मंत्री राहुल में एक ‘ड्रामेबाज़’ और उनकी पार्टी के नेता ‘पप्पू’ की इमेज ही क्यों देखना चाहती हैं? कोई तो कारण होना चाहिए!