क्या हम नब्बे दिन बाद ही पड़ने वाले इस बार के पंद्रह अगस्त पर लाल क़िले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के तिरंगा फहराने और सामने बैठकर उन्हें सुनने वाली जनता के परिदृश्य की कल्पना कर सकते हैं? क्या सोच-विचार कर सकते हैं कि तीन महीनों के बाद हम अपनी उपलब्धियों के किस मुक़ाम पर होंगे और प्रधानमंत्री द्वारा जनता को ऐसा क्या संदेश दिया जाना चाहिए जो कि सर्वथा नया होगा। क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि 255 दिनों के बाद मनाए जाने वाले ‘गणतंत्र दिवस’ पर राजपथ का नज़ारा इस बार कैसा होगा? क्या हम अपने वैभव का चार महीने पहले ही मनाए गए ‘गणतंत्र दिवस’ के उत्सव की तरह ही प्रदर्शन करना चाहेंगे?