एक सामान्य और असहाय नागरिक को अपनी प्रतिक्रिया किस तरह से देनी चाहिए? पंजाब कांग्रेस के मुखिया और मुख्यमंत्री पद के दावेदार नवजोत सिंह सिद्धू के इस उत्तेजक बयान पर राहुल गांधी समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की ज़ुबानों पर ताले पड़ गए हैं कि (धार्मिक) बेअदबी के गुनहगारों को खुलेआम फाँसी दे देना चाहिए।
भीड़ की हिंसा: सिद्धू के बयान पर राहुल की चुप्पी!
- विचार
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- 24 Dec, 2021

किसी भी धर्म या आस्था को लेकर की गई बेअदबी हो अथवा नागरिक जीवन का हिंसा के ज़रिए असम्मान किया गया हो, क्या दोनों स्थितियाँ अलग-अलग हैं या एक ही चीज़ हैं? अगर अलग-अलग हैं तो दोनों के बीच के फ़र्क़ को अदालतें तय करेंगी या यह काम भीड़ के ज़िम्मे कर दिया जाएगा?
अमृतसर और कपूरथला के दो धर्मस्थलों पर पवित्र गुरु ग्रंथ साहब के अपमान की अलग-अलग घटनाओं के सिलसिले में दो लोगों को "धर्मप्राण" भी़ड़ ने पीट-पीट मार डाला। जिन लोगों की जानें गई हैं उनकी पहचान को लेकर किसी भी तरह की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। जिन लोगों ने मारपीट की घटना को अंजाम दिया उनके भी नाम-पते अज्ञात हैं। घटना की जांच रिपोर्ट भविष्य में जब भी सामने आएगी तब तक के लिए सब कुछ रहस्य की परतों में क़ैद रहने वाला है।