मणिपुर के पहले संसद में बहस शायद जयपुर-मुंबई सुपर फ़ास्ट एक्सप्रेस में घटी त्रासदी पर होना चाहिए और प्रधानमंत्री से जवाब भी माँगा जाना चाहिए! चलती ट्रेन में हुई त्रासदी और उसके मुख्य पात्र द्वारा उसकी ही गोली के शिकार हुए चार लोगों में से एक के शव पास खड़े होकर दी गई नफ़रती स्पीच पर अगर बहस हो जाए तो फिर मणिपुर, मोनू मानेसर और हरिद्वार पर भी अपने आप हो जाएगी!
अपनी राजनीतिक सुरक्षा में मशगूल सरकार नागरिक असुरक्षा से बेखबर!
- विचार
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- 6 Aug, 2023

कांस्टेबल चेतन सिंह द्वारा एक्सप्रेस में लोगों को गोलियों से भूनने के क्या मायने हैं? क्या इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? क्या सरकार नागरिकों की असुरक्षा को भूल कर खुद की सुरक्षा में लग गई है?
चेतन सिंह अब किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं रहा। हो सकता है कि इस नाम का उस शख़्सियत से कोई ताल्लुक़ ही स्थापित नहीं हो पाए जो उस दुर्भाग्यपूर्ण रात सूरत स्टेशन पर अपने बॉस और अन्य सहयोगियों के साथ एस्कॉर्ट ड्यूटी के लिए ट्रेन पर सवार हुआ था। एस्कॉर्ट ड्यूटी बोलें तो यात्रियों की सुरक्षा के लिये ट्रेन में चलने वाला रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स (आरपीएफ़) का अमला।